कानपुर (ब्यूरो)। कानपुर कमिश्नरेट में ये कोई पहला मामला नहीं जिसमें खाकी पर दाग लगा हो। इससे पहले भी खाकी पर तमाम बार दाग लग चुके हैैं। एफआईआर भी दर्ज हुई, लेकिन कभी किसी पुलिस कर्मी की गिरफ्तारी नहीं हुई। ऐसे में बड़ा सवाल है कि इस मामले में जो भी आरोपी पुलिसकर्मी हैं, क्या उन पर कोई कार्रवाई होगी। क्योंकि ताजा मामला काकादेव और कोहना थाने के थानेदारों के बीच हुआ गांजा तस्कर को लेकर गिरफ्तारी का है। मामले में केस भी दर्ज हुआ लेकिन गिरफ्तारी नहीं हुई। गोविंद नगर में एसओजी सिपाही बनकर कारोबारी का किडनैप करना, क्राइम ब्रांच में तैनाती के दौरान साइबर हैकर्स की मदद करना, नौबस्ता में पूछताछ के बहाने थाने बुलाकर थर्ड डिग्री देने का मामला समेत लंबी फेरहिस्त है। एक रिटायर्ड पुलिस अधिकारी के मुताबिक, नौकरी करते समय सबसे पहले हर पुलिस कर्मी यही सीखता है कि अगर उसके खिलाफ कोई केस दर्ज हो जाता है तो उसे अपना डिफेंड कैसे करना है। इसी ट्रेनिंग की वजह से जांच और विवेचना में उलझकर केस खत्म हो जाता है और पुलिसकर्मी को किसी दूसरे जनपद में ट्रांसफर के बाद तैनाती भी मिल जाती है।
दलालों के मार्फत चलता है पूरा रैकेट
पुलिस चौकी मंडी के अंदर ही बनी है। सब्जी वसूली से लेकर पैसा वसूली तक का पूरा खेल दलालों और सिपाहियों के माध्यम से इतनी सफाई से चलता है कि पुलिस को इविडेंस नहीं मिल पाता है। मंडी में मौजूद लोगों ने बताया कि सुबह 5 बजे से 10 बजे तक आमतौर पर मंडी लगती है। यहां दूर से आए किसान अपनी सब्जी बेच जाते हैैं और वहां सुनील और सुनील के जैसे सैकड़ों लोग सब्जी बेचते हैैं। जो पैसा बचता है उसे अपने पास रखकर किसान की रकम दे दी जाती है। इसी बीच ये रैकेटिए अपना रैकेट चलाते हैैं। रोज के रोज वेजीटेबल और फ्रूट्स बड़ी मात्रा में कलेक्ट किए जाते हैैं। उसके बाद कहां कौैन सी बोरी या बोरा भेजना है, इसकी जानकारी चौकी इंचार्ज को ही होती है।
काम पर नहीं गए कस्बे के लोग
सुनील क्या पूरे परिवार का कस्बे के लोगों से अच्छे रिलेशन थे, जिसकी वजह से जिसने भी सुना वह सुनील के घर के सामने इकट्ठा हो गया। साथ में काम करने वाले, रोज जाने वाले और रोज आने वाले काम पर नहीं गए। पूरे मोहल्ले में देर शाम तक लोगों का हुजूम लगा रहा। वहीं माता पिता बदहवास हो गए। मोहल्ले के लोगों ने बताया कि कई महीनों से सत्येंद्र और अजय सुनील व उसके परिवार को परेशान कर रहे थे।
सस्पेंशन की भेजी गई रिपोर्ट
डीसीपी ने बताया कि दारोगा और सिपाही पर पहला आरोप लगा है कि वह सब्जी मुफ्त मेें लाता था, लेकिन न तो सत्येंद्र यादव का परिवार थाने में रहता है और न ही अजय का परिवार। थाने में भी मेस नहीं चलता है जो वह थाने की मेस के लिए सब्जी लाता। डीसीपी का कहना है कि रुपये लेने के इविडेंस अभी तक सामने नहीं आए हैं। दारोगा और सिपाही दोनों के मोबाइल की सीडीआर चेक की जाएगी। वहीं वायरल वीडियो के संबंध में बताया है कि वीडियो के दोनों फ्रेम अलग-अलग हैैं। जो भी आरोप फैमिली के हैैं उन सभी की जांच एसीपी टीबी सिंह को सौंपी गई है। वहीं इलेक्शन ड्यूटी के बाद जब सत्येंद्र और अजय को केस दर्ज होने की जानकारी मिली तो दोनों ने फोन बंद कर लिया है। दोनों की सस्पेंशन की रिपोर्ट बनाकर इलेक्शन कमीशन को भेज दी गई है।