कानपुर (ब्यूरो)। सिटी के स्कूलों से 12वीं पास करने वाले स्टूडेंटे्स सीएसजेएमयू से एफिलिएटेड डिग्री कॉलेजों से शायद खफा हैं। रिजल्ट आए हुए डेढ़ महीने से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी कॉलेजों की यूजी क्लास की सीटें खाली हैं। एडेड कॉलेजों में 15-40 परसेंट और सेल्फ फाइनेंस कॉलेजों में 10-20 परसेंट सीटों पर ही एडमिशन हुए हैं। सीटें खाली रहने से सेल्फ फाइनेंस कॉलेजों के सामने कॉलेज का खर्च चलाने और फैकल्टी को सैलरी देने का संकट खड़ा हो गया है।

दो बार यूनिवर्सिटी ने की मीटिंग
कॉलेजों में कम एडमिशन की जानकारी यूनिवर्सिटी के अधिकारियों को भी है। बीते दिनों दो बार कॉलेजों के मैनेजर्स और प्रिंसिपल्स के संग मीटिंग भी की गई है। मीटिंग में कॉलेज वालों ने जमकर भड़ास निकाली लेकिन मीटिंग बेनतीजा रही है। यूनिवर्सिटी के जिम्मेदार मीटिंग के बाद न जाने कौन सी ऐसी रणनीति बना रहे हैैं, जिससे कॉलेजों में एडमिशन का ग्राफ बढ़े। हालांकि अभी तक कोई भी रणनीति बनकर सामने नहीं आई है।

साल में दो बार एग्जाम
सीएसजेएमयू से एफिलिएटेड कॉलेजों में न्यू एजूकेशन पॉलिसी (एनईपी) लागू होने के बाद स्टूडेंट्स कंफर्ट जोन में नहीं हैैं। उनको साल में दो बार एग्जाम, फीस और प्रैक्टिकल अखर रहे हैैं। स्टूडेंट्स का कहना है कि एक तो नार्मल यूजी कोर्स (बीए, बीएससी और बीकॉम) करने के बाद जॉब नहीं मिलती है। उसके बाद हम इतना प्रेशर लें कि दूसरे एग्जाम की तैयारी कर सकें यह मंजूर नहीं है।

एनआईआरएफ रैंकिंग देखकर
यूपी, सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड से 12वीं पास करने वाले टॉपर तो सीएसजेएमयू और एफिलिएटेड कॉलेजों के आसपास भटकते भी नहीं हैैं। वह एनआईआरएफ रैंकिंग को देखकर यूनिवर्सिटी और कॉलेज का सिलेक्शन करते हैं। जबकि सीएसजेएमयू या इससे एफिलिएटेड कोई भी कॉलेज एनआईआरएफ में टॉप तो छोडि़ए बॉटम में भी एनआईआरएफ की लिस्ट में नजर नहीं आता है। अब सवाल है कि बेस्ट इंफ्रास्ट्रक्चर, वेल क्वालिफाइड फैकल्टी समेत बेस्ट एजूकेशन का दावा करने वाला सीएसजेएमयू एनआईआरएफ से क्यों बाहर है।

डब्ल्यूआरएन की फीस ज्यादा
सीएसजेएमयू में एडमिशन के लिए डब्ल्यूआरएन जेनरेट कराने के लिए
300 रुपए फीस अदा करनी होती है। इसके अलावा कॉलेजों में एडमिशन के लिए पॉलिसी मेकिंग करने के लिए कोई भी एडमिशन कमेटी नहीं है। ऐसे में कॉलेज भी प्रास्पेक्टस समेत कई मामलों में मनमानी फीस वसूलते हैैं और नियमों में भी मनमानी करते हैैं।

यह है कॉलेजों की स्थिति
डीएवी कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ। अरुण कुमार दीक्षित ने बताया कि यूजी में टोटल 1280 सीटें हैैं, जिसमें 250 पर एडमिशन हुए हैैं। हरसहाय कॉलेज के एडमिशन प्रभारी डॉ। अखंड प्रताप सिंह ने बताया कि यूजी में 660 सीटें हैैं, जिसमें 150 पर एडमिशन हुए हैैं। केवीएम की प्रिंसिपिल प्रो। पूनम विज ने बताया कि यूजी में 360 में से 50 सीटों पर एडमिशन हुए है। एएनडी कॉलेज की प्रिंसिपल प्रो। ऋतंभरा ने बताया कि यूजी में टोटल 1490 सीटों में 100 पर एडमिशन हुए हैैं। हालांकि पीपीएन, क्राइस्ट चर्च और डीजीपीजी जैसे चुनिंदा कॉलेजों में एडमिशन की स्थिति ठीक है।

वर्ष 2023 में कानपुर से इतने स्टूडेंट्स हुए 12 वीं पास

यूपी बोर्ड - 37803
सीबीएसई बोर्ड - 10113
आईसीएसई बोर्ड - 4545

स्टूडेंट्स की घटती संख्या का कारण एनईपी की व्यवस्थाएं है। इसके अलावा मिड और एंड सेमेस्टर मिलाकर साल भर केवल एग्जाम ही हुआ करते हैैं। इसके अलावा बढ़ी हुई फीस और एंप्लायमेंट न मिल पाना एडमिशन कम होने के कारण है।
डॉ। अर्चना दीक्षित, उपाध्यक्ष, फुपुक्टा

कॉलेजों के लिए सीएसजेएमयू से कोई एकेडमिक कैलेंडर जारी नहीं किया जाता है, जिस कारण स्टूडेंट्स को लगता है कि अगस्त सितंबर तक एडमिशन होते रहेंगे। इसके अलावा क्लास स्टार्ट और एग्जाम होने का भी पता नहीं चल पाता है। कंडीशन यह है कि कई सेल्फ फाइनेंस कॉलेज बंद होने की कगार पर हैैं।
डॉ। विनय त्रिवेदी, अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश स्ववित्तपोषित महाविद्यालय एसोसिएशन

डब्ल्यूआरएन फीस का ज्यादा होने की वजह कॉलेजों से सामने आई है। इसके अलावा अभी स्टूडेंट्स एनईपी को समझ नहीं पा रहे हैैं। इस वजह से भी एडमिशन कम हो रहे हैैं।
डॉ। राजेश कुमार द्विवेदी, डायरेक्टर, सीडीसी, सीएसजेएमयू