कानपुर (ब्यूरो) बयानों के मुताबिक मोहम्मद गौस और आतिफ ने स्थानीय स्कूलों को ठिकाना बना रखा था। वे मौका देखकर स्कूलों और कोचिंगों में जाते थे। इसके लिए उन्होंने जाजमऊ और मछरिया समेत शहर के आधा दर्जन से ज्यादा घनी आबादी वाले इलाकों को सिलेक्ट किया था। स्कूल संचालकों के विरोध करने पर गौस अपनी ट्रेनिंग की तस्वीरें दिखाकर धमकाता था। अपने बयानों में गौस ने बताया कि एयरफोर्स से रिटायरमेंट के बाद उसने छह महीने की ट्रेनिंग बारामूला से सटे आतंकियों के बेस कैंप में की थी। इस वीडियो को देखकर स्कूल संचालक उससे डर जाते थे, लेकिन कहीं न कहीं इसकी जानकारी लोगों को दिया करते थे। इन स्कूलों में मासूमों को प्रोजेक्टर से आतंक की पढ़ाई कराई जाती थी।
पांच जिलों की थी जिम्मेदारी
बड़े धमाकों की जिम्मेदारी खुरासान माड्यूल के चीफ उमर हलमंडी ने मोहम्मद गौस को दी थी। गौस से कुकर बम बनाने वाली टीम तैयार करने को कहा था। अपने बयानों में गौस ने बताया कि उसने ही उमर हलमंडी के कहने पर लखनऊ से पकड़े गए मिनहाज और मसीरुद्दीन को शामिल कर बम बनाना सिखाया था, उसके बाद दोनों ने अलकायदा समर्थित गजवातुल-ए-हिंद की सदस्यता लेकर देश को मिट्टïी में मिलाने का सपना देखना शुरू कर दिया था। (बताते चलें कि इन दोनों की गिरफ्तारी लखनऊ से जुलाई 2021 में हो चुकी है और इन पर एनआईए कोर्ट में केस चल रहा है) गौस पर प्रयागराज, लखनऊ, फैजाबाद, रायबरेली और अलीगढ़ में संगठन को मजबूत कर आतंकी वारदातों को अंजाम दिलवाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
एक की मौत पर 20 आतंकी तैयार करने पड़ते थे
मुठभेड़ कश्मीर में हो या मुंबई में, दिल्ली में हो या गुजरात में। संगठन को मुठभेड़ में मारे एक आतंकी के बदले 20 आतंकी तैयार करने होते थे। नए लडक़ों को पहले आतंक से जुड़े लोगों के लिए तमाम इंतजाम में लगाया जाता था। इसी दौरान इन्हें धार्मिक बातें भी समझाई जाती थीं। ये भी बताया जाता था कि जो मरा है वो अल्लाह को मानने वाला था, वह अल्लाह की शान में कुर्बान हुआ है। उसकी कुर्बानी बेकार नहीं जाने दी जाएगी। इसके अलावा तमाम तकरीरें सुनाई जाती थीं, जिससे मासूमों का ब्रेनवॉश हो जाता था।
देश की रक्षा के लिए सीखा, देश विरोधी साजिश में यूज
बम बनाने में कितना प्रेशर चाहिए और कितने प्रेशर से बम छोड़ा जाए तो वह कितना नुकसान करेगा? इसकी जानकारी मोहम्मद गौस को थी। ये कहां से सीखायह पूछने पर गौस ने एनआईए को बताया कि उसे एयरफोर्स की नौकरी के दौरान छह महीने की मिसाइल ट्रेनिंग भारत सरकार ने दिलाई थी, जहां उसने बम, मिसाइल और उससे जुड़ी तमाम जानकारियां हासिल तो की थीं देश की रक्षा के लिए, लेकिन रिटायरमेंट के बाद इसका इस्तेमाल देश विरोधी साजिश में करने लगा। अपने बयानों में उसने बताया कि एयरफोर्स में नौकरी जरूर कर रहा था लेकिन उसके साथ सौतेलों जैसा व्यवहार किया जाता था, जिससे वह बहुत आहत था। अधिकारी तो अधिकारी, साथी भी उस पर विश्वास नहीं करते थे।
गीली मिट्टïी सिखाता था फायरिंग
मोहम्मद गौस ने बताया कि वह कटरी और गंगा किनारे मॉड्यूल में शामिल नए लोगों को फायरिंग की ट्रेनिंग देता था। कई बार कई जिलों में ये प्रक्रिया चुपचाप कराई जाती थी। इसके लिए ऐसा समय चुना जाता था जब ज्यादातर लोग अपने घरों में रहते थे। अक्सर बड़े त्यौहार के बाद ये ट्रेनिंग होती थी। जिसमें पहले मिट्टïी को गीला किया जाता था। जब मिट्टïी दलदली हो जाती थी तो इस पर तिरपाल या बोरा डाल दिया जाता था, इस पर फायरिंग करने से गोली मिट्टी में धंस जाती थी और आस पास के लोगों को आवाज तक नहीं आती थी। साल में दो या तीन दिन इस तरह की ट्रेनिंग दी जाती थी। यहां के बाद नए शामिल युवकों को नेपाल भेजा जाता था।