कानपुर(ब्यूरो) मायोपिया में बच्चों को निकट दृष्टि दोष हो जाता है। जिससे बच्चे की आंखों की पुतली का आकार बढऩे से प्रतिविंब रेटिना के बजाए थोड़ा आगे बनता है। उनको दूर की चीजों को देखने में समस्या होता है। रिसर्च में सामने आया कि जो बच्चे जितनी छोटी स्क्रीन का यूज कर रहे हैं। उसकी आंखेे उतना ही प्रभावित हुई हैं। उन्होंने बताया कि आंखों के लिए सबसेखतरनाक मोबाइल की स्क्रीन है। जो बच्चे मोबाइल अधिक यूज करते है। वह मायोपिया से ग्रसित हो जाते हैं। वहीं चश्मा यूज करने वाले बच्चों के चश्मे का नंबर तेजी से बढ़ा है।

400 बच्चों की केस स्टडी की गई
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के आई डिपार्टमेंट की प्रो। डॉ। शालिनी मोहन ने बताया कि कोरोना के बाद बच्चे में मोबाइल समेत अन्य स्क्रीन का यूज बढ़ गया है। इसके अलावा आउट डोर की जगह इनडोर गेम पर बच्चों का रुझान बढ़ा है। यही कारण है कि जो बच्चे बाहर व धूप में यानी रोशनी में खेलते व पढ़ते हैं। उनमें मायोपिया होने का खतरा कम होता है।

बच्चों के इन गतिविधियों पर दे ध्यान
- बार-बार आंखे झपकाना
- दूर की चीजों को देखने में परेशानी होना
- सिर दर्द बना रहना
- आंखों से पानी आना
- आंखों को बार-बार मसलना
- ब्लैक बोर्ड के अक्षर दिखने में समस्या होना
- पढ़ाई में फोकस न करना

ऐसे करें बचाव
- बच्चों के स्टडी रूम में पर्याप्त रोशनी की व्यवस्था करें
- बच्चों को मोबाइल का यूज कम से कम करने दें
- पढ़ाई के लिए बच्चों को मोबाइल की अपेक्षा लैपटॉप दें
- 20 मिनट स्क्रीन देखने के बाद इधर-उधर देखें
- धूप में निकले और एक्सरसाइज करें

मायोपिया का यह कामन सिम्टम
डॉ। शालिनी मोहन ने बताया कि मायोपिया से ग्रसित बच्चों को दूर की वस्तुओं को देखने में समस्या होती है। लिहाजा वह किताबों को काफी पास से पढ़ते हैं। अगर आप उसकी किताब को थोड़ा दूर कर पढऩे को कहते हैं तो कुछ सेकेंड के बाद वह दोबारा किताब को आंख से एक फिट से अधिक नजदीक में लाकर पढऩे लगते हैं। यह मायोपिया से ग्रसित बच्चे का कामन सिम्टम है। इसको पैरेंट्स कतई इग्नोर न करें। बल्कि किसी आई स्पेशलिस्ट से बच्चे की आंख जरूर चेक करा लें।
आंकड़े
- 400 बच्चों में रिसर्च किया गया था
- 198 बच्चों का एक साल में तेजी से चश्मे का नंबर बढ़ा
- 202 बच्चे नए चिन्हित किए गए, जो मायोपिया से ग्रसित थे
- 1 साल में रिसर्च हुई पूरी
- 3 गुना मायोपिया के पेशेंट बीते दो सालों में बढ़े हैं।
कोट
बच्चों का ऑन स्क्रीन समय कोरोना के बाद बढऩे से मायोपिया से ग्रसित बच्चों की संख्या भी तीन गुना बढ़ी है। इस गंभीर समस्या को बच्चों के पैरेंट्स को इग्नोर नहीं करना चाहिए। बल्कि बच्चों पर ध्यान देने की जरूरत है।
प्रो। डॉ। शालिनी मोहन, आई डिपार्टमेंट, जीएसवीएम