कानपुर(ब्यूरो): सरकारी भवन पर में कब्जा करने और कर्मचारी के साथ मारपीट के 32 साल पुराने मामले में एसीएमएम आलोक यादव ने प्रदेश सरकार में एमएसएमई मंत्री राकेश सचान को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया। इससे पहले इसी कोर्ट से मंत्री राकेश को अवैध तरीके से असलहा रखने में एक वर्ष कैद की सजा सुनायी गई थी, जिसमें सजा माफी की अपील लंबित है।
ग्वालटोली थाना में दर्ज
छात्र राजनीति के दौरान राकेश सचान के खिलाफ 22 सितंबर 1990 को केडीए ऑफिसर जीडी दास ने ग्वालटोली थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। आरोप था कि रात 11.15 बजे राकेश ने साथियों के साथ असलहा लेकर परमट स्थित भवन संख्या-7 डेवलपमेंट बोर्ड बिङ्क्षल्डग में घुस आए और कब्जा कर लिया। वहां मौजूद कर्मचारी के साथ गाली गलौज कर जान से मारने की धमकी दी। इस मामले में पुलिस ने राकेश सचान के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। मामले में अभियोजन और बचाव पक्ष को सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि अभियोजन आरोप साबित करने में असफल रहा। इसलिए आरोपी राकेश सचान को बरी किया जाता है।
दोनों गवाह हो गए पक्षद्रोही
बचाव पक्ष के अधिवक्ता बार एसोसिएशन के अध्यक्ष नरेश चंद्र त्रिपाठी और अधिवक्ता कपिल दीप सचान ने बताया कि मुकदमा दर्ज कराने वाले वादी जीडी दास की दौरान सुनवाई मृत्यु हो गई थी,जिसके बाद अभियोजन की ओर से उस वक्त भवन में तैनात कर्मचारी संजय नयन कुमार और चपरासी मेहीलाल को बतौर गवाह पेश किया। संजय ने कोर्ट में गवाही के दौरान घटना की जानकारी से इंकार कर दिया.पुलिस ने अपने आप मेरा बयान लिख लिया। दूसरे गवाह मेहीलाल ने कहा कि वह घटना के समय नहीं था और न ही राकेश सचान को देखा था।