- एटीएस को मिली शहर के कई संस्थानों में मूवमेंट की जानकारी
- चमनगंज के एक कॉलेज में क्लॉस रूम का दिया गया था डेमो
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KANPUR : लखनऊ से मिनहाज और मसीरुद्दीन की अरेस्टिंग के बाद एसटीएफ की इन्वेस्टिगेशन विंग ने दोनों से कड़ी पूछताछ की। इन दोनों से पूछताछ में जब कानपुर कनेक्शन सामने आया तो एजेंसी के कान खड़े हो गए। मिनहाज ने पूछताछ में बताया कि उसने कानपुर में 'टेरर क्लास रूम' प्लान किया था। इस क्लास रूम के लिए जगह की जिम्मेदारी चमनगंज के एक बड़े बिल्डर को दी गई थी। इस बिल्डर के घर में एसटीएफ ने जब दबिश दी तो वह फरार हो चुका था। इस बिल्डर के संबंध शहर के कई नामचीन बिल्डर्स से भी हैं। जिस व्यक्ति को पेंचबाग से एसटीएफ ने हिरासत में लिया है। उसका अभी नाम नहीं खोला गया है। हालांकि ये जानकारी मिली है कि इसी व्यक्ति ने मिनहाज और मसीरुद्दीन को मोबाइल उपलब्ध कराए थे।
ब्रेन वाश करने में माहिर मिनहाज
एटीएस सूत्रों के मुताबिक मिनहाज का कानपुर में लगातार मूवमेंट रहा है। जाजमऊ, चमनगंज, रेलबाजार और चकेरी के जाजमऊ में वह अक्सर आता था। साधारण वेशभूषा में जुमे (शुक्रवार) के दिन आता था। शहर की किसी बड़ी मस्जिद में नमाज पढ़ने के बाद वह लोगों से मेल जोल बढ़ाता था। खुद को कॉलेज का प्रोफेसर बता कर कानपुर में कॉलेज के लिए जमीन दिलाने की बात करता था। वह शहर के कई प्रापर्टी डीलरों से भी इस जमीन को लेकर संपर्क में था। इसी दौरान उसकी मुलाकात चमनगंज निवासी बिल्डर्स से हो गई थी। दोनों एक दूसरे के इतना क्लोज हो गए थे कि मिनहाज ने उसे अपनी मंशा भी बता दी थी। जिसके लिए बिल्डर तैयार हो गया था।
मदरसों में भी जाता था
लॉकडाउन की वजह से स्कूल कॉलेज बंद थे, लिहाजा मिनहाज अपने मकसद में कामयाब नहीं हो सका। इसके बाद भी वह अपने आतंकी मकसद को सफल बनाने के लिए लगातार कानपुर के चक्कर लगाता था। इस दौरान उसने कई कॉलेजों के चक्कर भी लगा चुका था। एटीएस सूत्रों के मुताबिक मिनहाज के सॉफ्ट स्पोकेन होने की वजह से लोग उससे बात करने लगते थे। दूसरी दीनी तालीम अच्छी होने की वजह से लोग उससे काफी अट्रैक्ट भी होते थे।
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अलकायदा से अंसार गजवातुल हिंद तक
यूपी में अलकायदा की गतिविधियां संचालित करने की जिम्मेदारी उमर हलमंडी को दी गई थी। वह पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा से आतंकवादी गतिविधियां संचालित करता है। वह जेहादी प्रवृत्ति वालों को बरगलाकर अंसार गजवातुल हिंद में गुगरें की भर्ती करता। उसने इसी तरीके से आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए लखनऊ और कानपुर में मॉड्यूल खड़ा कर दिया। इस मॉड्यूल के प्रमुख सदस्यों में मिनहाज, मसीरुद्दीन व शकील का नाम सामने आया है। शकील का पता नहीं चल सका है। इन दोनों आतंकियों की मदद लखनऊ और कानपुर के कई लोगों ने की।