हिमालयन बर्ड का जू में आशियाना
जू लेक में इस टाइम हिमालयन बर्ड ने अपना आशियाना बना लिया है। जू डायरेक्टर के थॉमस ने बताया कि गुलाबी सर्दी के शुरू होते ही हिमालय के आसपास रहने वाली बर्ड जू लेक में शरण लेती है। उन्हें यहां बेहतर माहौल मिलता है। जिसकी वजह से पूरी मस्ती में चार महीने का टाइम गुजारती है। सुबह व शाम लेक के पास बर्ड की मस्ती देखते ही बनती है। ये हजारों किलोमीटर उडक़र यहां आती है और गर्मी का आभास होते ही मार्च में यहां से फुर्र हो जाती है।
पॉन्ड हेरॉन ग्र्रीन कलर के अंडे देती
झील में इनके खाने के लिए मछली, कीड़े मकोड़े व सांप मिल जाते है। पेन्टेड स्टॉक मछली व सांप खाना पसंद करती है। नाइट हेरॉन कीड़े मकोड़े व मछली खाने में रुचि रखती है। फीमेल पॉन्ड हेरॉन एक बार में तीन से चार अंडे देती है। इनके अंडे ग्र्रीन कलर के होते है।
जू में इनका अशियाना
नाइट हेरॉन
पॉन्ड हेरॉन
पेन्टेड स्टॉर्क
ओपेन बिल स्टॉर्क
कामन ग्र्रेहार्नबिल
जू की झील में काफी संख्या में मगरमच्छ है। यह मगरमच्छ विदेशी बर्ड पर घात लगाकर हमला कर उन्हें खा जाते थे। यह सिलसिला जब बहुत ज्यादा हो गया तो फिर इन बर्ड ने झील से मुंह फेर लिया। करीब चार साल पहले यह विदेशी मेहमान गंगा बैराज के पास आसपास डेरा डाले थे लेकिन वहां पेड़ के झुरमुट बहुत ज्यादा नहीं थे जिसकी वजह से वहां बहुत कम्फर्ट जोन उन्हें नहीं मिला जिसकी वजह से अब वहां भी ये नजर नहीं आ रहे है।
जू मगरमच्छ दुधवा भेजे जाएंगे
झील से मगरमच्छ को हटाने के लिए जू एडमिनिस्ट्रेशन गंभीरता से विचार कर रहा है। जू प्रशासन पहले झील में रहने वाले मगरमच्छ का हेल्थ चेकअप करने का प्रोग्र्राम बना रहा है ताकि जब उन्हें यहां से शिफ्ट किया जाए तो फिर कहीं से कोई प्रॉब्लम न हो। हालांकि इस टाइम लेक में सैकड़ों की संख्या में मगरमच्छ है। इन मगरमच्छ को दुधवा नेशनल पार्क में छोड़ा जा सकता है। जिसके लिए गवर्नमेंट लेवल पर जू प्रशासन वर्क कर रहा है।
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जू लेक में फॉरेन माइग्र्रेटेड बर्ड पहले बहुत संख्या में आते थे। बीते कुछ समय से यह विदेशी मेहमान यहां नहीं आ रहे है। इसका मेन रीजन लेक में रहने वाले मगरमच्छ है। वो विदेशी मेहमानों पर हमला कर उन्हें खा जाते थे। अब इन मगरमच्छ को झील से हटाकर दुधवा नेशनल पार्क या फिर किसी सुरक्षित फॉरेस्ट में छोड़ा जाएगा.
-के थॉमस, डायरेक्टर कानपुर जू