कानपुर (ब्यूरो) एडीजीसी दिनेश अग्रवाल और विशेष लोक अभियोजक पंकज त्रिपाठी ने पुलिस की केस डायरी में आए तथ्यों को कोर्ट के सामने रखा। दलील दी कि मुख्तार बाबा ने अपने बेटे महमूद उमर, साथी बिल्डर हाजी वसी और उसके मैनेजर मो। हमजा के साथ मिलकर उपद्रव की साजिश रची थी। इसके लिए दस लाख रुपये डीटू गैंग के अफजाल को दिए गए थे। ये पैसा उपद्रव के दौरान बम, गोली और ईंट पत्थर जुटाने के लिए दिया गया था। अफजाल ने इस साजिश में अपने साथी हिस्ट्रीशीट सबलू और अतीक खिचड़ी को शामिल किया था।

दोनों भगोड़े अपराधी
उसने दोनों को चार-चार लाख रुपये दिए थे। साजिश का मुख्य केंद्र ङ्क्षबदु नई सड़क पर ङ्क्षहदुओं की बस्ती चंद्रेश्वर हाता खाली कराना था। हाता खाली होने के बाद एक करोड़ रुपये और देने की बात तय हुई थी। कई लोगों की गवाही में यह तथ्य सामने आए हैं.अभियोजन अधिकारियों ने तर्क दिए कि दोनों भगोड़े अपराधी हैं। दोनों के खिलाफ महानगर मजिस्ट्रेट पंचम से गिरफ्तारी वारंट जारी है। उक्त दलीलों के बाद न्यायालय ने उनकी अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी।