कानपुर (ब्यूरो)। अवैध खनन में लगे डंपर से मंगलवार सुबह पति पत्नी की मौत का मामला इस इलाके के लिए कोई नया नहीं है। इससे पहले चार महीने के अंदर अवैध खनन में लगे डंपर के पहियों की चपेट में छह लोग आ चुके हैैं। लगातार हो रहे हादसों के बाद भी न तो थाना पुलिस इस ओर ध्यान दे रही है और न ही खनन करने वाले दबंग। नरवल और महाराजपुर थाने और इन थानों की छह चौकियां खनन कारोबार कराने वाले इन दबंगों के प्रभाव में हैैं।
मुकदमा, जांच और समझौता
इस हादसे में भले ही पति-पत्नी की मौत के साथ कई लोगों की मौत हो चुकी है लेकिन अवैध खनन के कारोबार में कोई कमी नहीं आई। एफआईआर होती है जांच होती है या तो समझौता हो जाता है या मामले में फाइनल रिपोर्ट लगा दी जाती है। बीते चार महीने में महाराजपुर थाने में डंपर से गैरइरादतन हत्या के तीन मुकदमे दर्ज किए गए। वहीं नरवल में छह केस दर्ज किए गए। कुल मिलाकर खनन प्रभावित इलाके में नौ केस दर्ज किए गए, जिनमें से छह में फाइनल रिपोर्ट लगा दी गई और तीन मामलों में विवेचना हो रही है।
5 की परमीशन, दौड़तीं 50
पुलिस के आधिकारिक सूत्र बताते हैैं कि दोनों थानों से खनन के मामले में 5-5 गाडिय़ों की परमिशन दी है। परमिशन में 24 घंटे के अंदर तीन चक्कर लगाने के लिए कहा गया है। स्पीड गांव के आस पास 20 किलोमीटर प्रति घंटा और गांव के बाहर 30 किलोमीटर प्रति घंटा रखने के आदेश हैं। साथ ही गाड़ी भरने के समय बड़े साइज के पांच हैरौ और छोटे साइज के 8 हैरो मिट्टïी भरी जानी है। लेकिन सारे आदेशों को ताख पर रखकर 50 गाडिय़ां अवैध खनन में लगी हैं।
ये है असलियत
पुलिस सूत्र बताते हैैं कि दोनों थाना क्षेत्रों में 50 डंपर थाने के रहमोकरम पर चलते हैैं। हर गाड़ी कम से कम 8 चक्कर रोज लगाती है क्योंकि जिस जगह रेलवे का काम चल रहा है वहां 200 से 300 गाड़ी मिट्टïी रोज पड़ रही है। हर गाड़ी में मानक से ज्यादा वजन का खनन का सामान होता है, जिससे सडक़ें खराब हो रही हैैं। टायर के दबाव से सडक़ों पर नाली बन जाती है, जिससे आने जाने वाली गाडिय़ां अनियंत्रित होकर हादसे का शिकार होती हैं। किसी भी गाड़ी की स्पीड 40 से 50 किलोमीटर प्रति घंटा होती है, जिससे हादसों की संभावना बढ़ जाती है।
शव रखकर परिजनों ने किया हंगामा
तिलशहरी गांव में तेज रफ्तार डंपर ने मंगलवार को घाटू खेड़ा मोड़ के तीन लोगों को रौंद दिया था जिसमें दंपति की मौत हो गई थी.वहीं पोस्टमार्टम के बाद बुधवार को शव जैसे ही घर पहुंचे, परिजनों ने हंगामा करते हुए अंतिम संस्कार करने से इन्कार कर दिया। वहीं ग्रामीण पीडि़त परिवार को आर्थिक मदद की मांग पर अड़ गए। मौके पर मौजूद पुलिस ने पीडि़त परिवार को काफी हद तक समझाने का प्रयास किया लेकिन ग्रामीण अपनी मांग पर अड़े रहे। काफी मनाने पर परिजन अंतिम संस्कार को तैयार हुए। डीसीपी पूर्वी एस के सिंह का कहना है कि ग्रामीण मौके पर ही मुआवजा दिए जाने की मांग कर रहे थे। उन्हें आश्वासन दिया गया कि राजस्व विभाग तहसीलदार से कहकर बटाईदार के नाम पर किसान बीमा व आपदा कोष से पांच-पांच लाख रुपये दिलाने का प्रयास किया जाएगा।