गूगल के खिलाफ मानहानि का मुकदमा करने वाले व्यक्ति का नाम मिलोराड है जिनकी शिकायत थी कि गूगल के सर्च रिजल्ट में नाम आने से उनकी मानहानि हुई।
मिलोरड का आरोप था कि गूगल सर्च में उनकी तस्वीर और नाम को अपराध से जोड़ा गया जिससे उनकी प्रतिष्ठा को धक्का लगा। मिलोरड का कहना है कि उन्होंने गूगल से उनका नाम और तस्वीर सर्च रिजल्ट से हटाने के लिए कहा जिससे गूगल ने इनकार कर दिया।
फिर उन्होंने अदालत का दरवाज़ा खटखटाया जहां फैसला उनके पक्ष में आया है। 62 वर्षीय मिलोरड इससे पहले एक ऐसे ही मामले में याहू के खिलाफ मुकदमा जीत चुके हैं।
गूगल की चुप्पी
गूगल ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है और वो शायद इस फैसले के खिलाफ अपील कर सकता है। अदालत इस मामले में एक पखवाड़े की भीतर तय कर सकती है कि मिलोरड के लिए क्षतिपूर्ति कितनी होनी चाहिए।
मिलोरड का कहना है कि गूगल के सर्च इंजन में उनका नाम और तस्वीर अपराध से जोड़े जाने से लोग उनसे दूर भागने लगे थे। फिर एक दिन परेशान होकर उन्होंने एक वकील के जरिए गूगल से कहा कि वो अपने सर्च रिज़ल्ट में सुधार करे, लेकिन गूगल ने ऐसा नहीं किया तो उन्होंने मुकदमा कर दिया।
गूगल ने तर्क दिया था कि सर्च रिज़ल्ट एक ऑटोमेटेड सॉफ्टवेयर पर आधारित होते हैं और इसके लिए उसे जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। विक्टोरिया के सुप्रीम कोर्ट की ज्यूरी गूगल के इस तर्क से सहमत हुई। लेकिन ज्यूरी को मिलोरड का ये तर्क भी सही लगा कि गूगल चाहता तो शिकायत के बाद उनके नाम और तस्वीर को हटा सकता था, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया।
इसी आधार पर गूगल को मिलोरड की मानहानि का दोषी पाया गया है। मिलोरड का कहना अदालत के इस फैसले से वे खुद को दोषमुक्त महसूस कर रहे हैं।
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