कानपुर (ब्यूरो) कस्टोडियल डेथ के मामलों में आरोपी पुलिसकर्मियों पर केस दर्ज करने के बाद निलंबन और बर्खास्तगी तक के शासन से आदेश हैैं। आरोप सिद्ध होने पर सजा भी दिए जाने के लिए कहा गया है। लेकिन ऐसा होता नहीं हैैं। क्योंकि पूरे सिस्टम में झोल है। दरअसल कस्टोडियल डेथ के बाद पुलिसकर्मी अपने कमांडिंग ऑफिसर से लेकर ऊपर तक की सेटिंग करता है। जिले के पुलिस अधिकारी को भी शासन को जवाब देना पड़ता है। इस वजह से सीनियर ऑफिसर्स खुद की फजीहत से बचने के लिए अपने मातहतों को बचाने की पूरी कोशिश करते हैैं। बलवंत की मौत के मामले में परिवार वाले एसपी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने से कम में मानने को तैयार नहीं थे। एसपी के आदेश पर उन्हें बचाकर केस दर्ज किया गया।

पुलिस हिरासत में मौत में यूपी नंबर-1
यूपी में पिछले दो सालों में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सबसे ज्यादा कस्टोडियल डेथ हुई हैैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2020-21 में ये आंकड़ा 451 था जबकि 2021-22 में ये आंकड़ा 501 हो गया है। जबकि देश में 2020-21 में ये आंकड़ा 1,940 था और 2021-22 में ये आंकड़ा 2,544 पहुंच गया। कानपुर की बात की जाए तो 2020-21 में 9 कस्टोडियल डेथ हुईं जबकि 2021-22 में ये आंकड़ा 11 पहुंच गया। जबकि अभी भी साल के 15 दिन बाकी हैैं।

रिमांड के दौरान होती है पिटाई
चोरी, डकैती, लूट, छिनैती जैसे अपराध होने के बाद इन मामलों में असली अपराधी को पकड़कर वर्कआउट करने में पुलिस के पसीने छूट जाते हैं। अधिकारियों से लेकर शासन तक का दबाव वर्कआउट का होता है। पुलिस की जांच की शुरुआत शक से होती है। पुलिस सस्पेक्टेड को हिरासत में लेकर पूछताछ करती है। माल बरामदगी के लिए टॉर्चर इस कदर किया जाता है कि कभी कभी संदिग्ध की हालत खराब हो जाती है। कई बार मौत भी हो जाती है। कुछ अपराधी इतने शातिर होते हैं कि उनसे जुर्म कबूल करवाना बेहद मुश्किल होता है।
तैयार की जाती है स्क्रिप्ट
ऐसे में पुलिस थर्ड डिग्री टॉर्चर देती है। लेकिन, इस टॉर्चर में कई बार निर्दोष या नौसिखिए अपराधी दम तोड़ देते हैं। इसके बाद पुलिस मामले को दबाने और अपनी गर्दन बचाने के लिए स्क्रिप्ट तैयार करने में लग जाती है। अधिकारी, मुखबिर और सरकारी अस्पताल के डॉक्टर को फांसती है। अगर डॉक्टर ब्रॉड डेड की रिपोर्ट बना देता है तो पुलिसकर्मियों की जान बच जाती है। आरोपी पुलिस कर्मी पोस्टमार्टम हाउस तक सेटिंग की कोशिश करते हैैं। जिससे रिपोर्ट में टॉर्चर और चोटों का जिक्र न हो। बलवंत के मामले में भी ऐसा करने की कोशिश हुई। इसलिए उसका पोस्टमॉर्टम कानपुर नगर में कराया गया।

नवाबगंज: हालत बिगड़ी तो सखी केंद्र में छोड़ आए
उन्नाव के मगरवारा निवासी किशोरी एनआरआई सिटी में कारोबारी के घर काम करती थी। 17 अप्रैल 2022 को कारोबारी के घर से घड़ी, सोने व हीरे के जेवरात चोरी हो गए थे। इस प्रकरण में नवाबगंज पुलिस 11 मई 2022 किशोरी और उसकी मां को पकड़कर पूछताछ के लिए लाई थी। रात सवा दो बजे दोनों को स्वरूप नगर स्थित सखी-वन स्टाप सेंटर (आशा ज्योति केंद्र) ले जाया गया। दूसरे दिन सोमवार की सुबह साढ़े नौ बजे महिला ने केंद्र के बाथरूम में खिड़की से साड़ी का फंदा बनाकर आत्महत्या कर ली। पुलिस ने इस मामले में भी लीपापोती कर डाली।
कार्रवाई: किसी पर कोई एक्शन नहीं
वर्तमान स्थिति: सभी आरोपी बड़े थानों में तैनात

तीसरा मामला :
कल्याणपुर: सभी आरोपी थानों में तैनात
कल्याणपुर के माधवपुरम निवासी वाई.एस। दीक्षित के घर चोरी हो गई थी। इस मामले में पुिलस तेज नारायण के बेटे कल्लू उर्फ जीतेंद्र को पुलिस लेकर आई थी। मुख्या आरोपी किन्ना फरार चल रहा था। जीतेंद्र दीपावली में घर आया था। चोरी के आरोप में पुलिस ने उसे 13 नवंबर 2021 को हिरासत में ले लिया। लॉकअप में किन्ना की जानकारी और माल बरामदगी को लेकर जीतेंद्र को थर्ड डिग्री दी गई। हालत बिगडऩे पर पुलिस उसे अस्पताल ले गई, जहां उसकी मौत हो गई।
एक्शन: दरोगा समेत तीन पुलिसकर्मियों पर एफआईआर
वर्तमान स्थिति: सभी आरोपी थानों में तैनात

बिधनू: 6 लाख में मामला करा दिया सेटल
बिधनू थाना क्षेत्र में पुलिस कस्टडी में रमईपुर रौतारा गांव में भाइयों के बीच रास्ते के विवाद में 23 अक्टूबर की रात पुलिस ट्रैक्टर-ट्राली चालक राजेंद्र कुमार कठेरिया को थाने लाई थी। जहां सीने में दर्द की शिकायत पर सीएचसी ले गई। वहां से एलएलआर अस्पताल ले जाने पर मौत हो गई थी। उसके बेटे और परिजनों ने पुलिस की पिटाई से मौत होने का आरोप लगाया था। बाद में पुलिस ने अपनी बचाने के लिए उसकी पत्नी की तहरीर पर देवर के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया था। ग्रामीणों को इसकी भनक लगी तो नौ घंटे से अधिक चले बवाल के बाद पुलिस को उसे छोडऩा पड़ा था। बाद में पुलिस ने गुपचुप तरीके से छह लाख रुपये की पीडि़त परिवार को मदद देकर मामला निपटा दिया।

एक्शन: कोई कार्रवाई नहीं, पीडि़त को 6 लाख देकर किया शांत