इस जानकारी की खोज करने वाले पोर्ट्समाउथ यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के दल ने क्रेस्टेड मकाक्यू बंदरों की गतिविधियों को रिकॉर्ड किया और इस बात की गणना की गई कि बंदर एक दूसरे के ताकने पर कितनी जल्दी प्रतिक्रिया देते है।
ताक-झांक की प्रतिक्रिया देना बंदरों के मकाक्यू प्रजाती में काफ़ी अहम माना जाता है क्योंकि इसी के माध्यम से वे खाना खोजने और खतरे के प्रति आगाह करने के लिए एक दूसरे की मदद करते है। इस शोध से संबंधित जानकारियां 'एनिमल बिहेवियर' नाम की पत्रिका में छपी है।
पोर्ट्समाउथ यूनिवर्सिटी के प्रमुख शोधकर्ता जेरॉम मिशेलेट्टा ने कहा, ''हम इन आदिमनुष्यों पर शोध करके पता लगाना चाहते है कि हमारी सामाजिक व्यवस्था कैसे स्थापित हुई.'' उन्होंने कहा, ''हम जानना चाहते है कि मनुष्य झुंड में क्यों रहते है और रिश्तें क्यों बनाता है.''
'रिश्तेदारी से दोस्ती बड़ी'
मकाक्यू बंदरों के रहन सहन पर शोध कर रहे मिशेलेट्टा ने कहा कि इससे पहले हुए शोध में पता लगाया गया था कि थकान मिटाने और तंदुरूस्ती कायम रखने में दोस्ती की क्या भूमिका होती है।
उन्होंने बीबीसी नेचर को बताया, ''हालांकि दोस्ती और रिश्तेदारी बंदरो के व्यवहार को कैसे प्रभावित करते है इस बारे में जानकारी काफ़ी कम है.'' मिशेलेट्टा और उनके सहयोगियों ने बंदरों के ताक-झांक से उनके व्यवहार का पता लगाने के लिए इस विषय पर शोध किया।
शोध के लिए वैज्ञानिक हैंपशर के मार्वेल वाइल्डलाइफ़ जूलॉजिकल पार्क में गए। जांच के दौरान शोधकर्ता दो मकाक्यू बंदरों के आमने सामने बैठने का इंतज़ार करना पड़ा।
शोधकर्ताओं के मुताबिक़ क्रेस्टेड मकाक्यू बंदरों ने दोस्तों के बीच बैठकर एक दूसरे का विकास करना ज्यादा पसंद किया। दो बंदरों के बीच दोस्ती कितनी है ये जांचने के लिए वैज्ञानिकों ने ये पता लगाया कि वो एक साथ कितने देर तक रहते हैं और कितनी देर तक एक दूसरे का ख्याल रखते हैं।
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