- मंदिरों में नियमित होता रहेगा पूजन-आरती, ट्यूजडे से शुरू होने वाला चातुर्मास 15 नवंबर तक
जागरण संवाददाता, कानपुर : देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु क्षीरसागर में जाकर निद्रा में लीन हो जाते हैं। इसके साथ ही चातुर्मास की शुरुआत हो जाती है। मंगलवार से शुरू होने वाला चातुर्मास 15 नवंबर तक चलेगा। चातुर्मास के चार महीने तक मांगलिक और शुभ कार्य निशिद्ध माना गया है। इस दौरान जैन संतों का पद विहार भी नहीं होता है।
प्रभु का स्मरण करते हुए स्तुति
आचार्य पं। दीपक पांडेय के मुताबिक देवशयनी एकादशी के बाद शुभ कार्य पर रोक लग जाती है। चातुर्मास के दौरान विधि-विधान से पूजन अर्चन करने से समस्त फलों की प्राप्ति होती है। इस कालखण्ड में दान पुण्य व पूजा पाठ करने से कष्ट और रोगों से मुक्ति मिलती है। मान्यता है कि चातुर्मास में संत नदी, झील पार नहीं करते हैं। वे एक स्थान पर रहकर प्रभु का स्मरण करते हुए स्तुति में लीन रहते हैं। जैन धर्म के अनुयायी अनूप जैन ने बताया प्रत्येक चातुर्मास में संतों का शहर आना होता है। इस बार कोरोना संक्रमण के चलते शहर में जैन धर्म के किसी भी संत का आगमन नहीं हो रहा है।