कानपुर (ब्यूरो) इनहाउस फाइनेांशियल फ्रॉड होने के मामले में नियम के मुताबिक पुलिस के हाथ में केस दर्ज कर विवेचना और फिर मामले का निस्तारण करने का अधिकार होता है। इनहाउस फ्रॉड होने की वजह से बरामदगी का काम पुलिस का नहीं होता है। इस वजह से तीनों बैैंकों से हुई चोरी के मामले में पुलिस को परेशानी हो रही है। इसके बाद एक बात और सामने आई है। अब बैैंकों के कई कस्टमर पुलिस के पास पहुंच रहे हैैं। लोगों का कहना है कि उनके लॉकर से इतना जेवर या नगदी गायब है। अब पुलिस के सामने एक बड़ी समस्या है कि इन लॉकर्स में रखा जेवर कितना था? इसकी जानकारी न तो बैैंक मैनेजर को है और न ही पुलिस को? ऐसे ग्राहकों ने बैैंक के सामने भी परेशानी खड़ी कर दी है।
सभी नियम शर्तें मंजूर हैं
पुलिस अधिकारियों की मानें तो लॉकर मिलने के प्रॉसेस में कुछ बदलाव किया गया है। पहले लॉकर इंचार्ज आपसे लॉकर के लिए फार्म भरवाएगा, जिसमें कस्टमर को अपनी और रखे जाने वाले सामान की डिटेल देनी होगी। 15 बिंदुओं का फॉर्म भरने के बाद लॉकर इंचार्ज इसे बैैंक मैनेजर के माध्यम से थाने भेजेगा। थाने से एलाईयू जांच होगी। जांच के बाद संबंधित थाने का इंचार्ज इसे वेरिफाई करेगा, फिर डीसीपी ऑफिस में इसकी इंट्री होगी, इसके बाद कहीं जाकर लॉकर मिलने पर फाइनल रिपोर्ट लगेगी। लॉकर लेने से पहले पुलिस को ये हलफनामा ग्राहक देगा कि उसे बैैंक की सभी नियम और शर्तें मंजूर हैैं।