25 साल के उमर फ़ारूक़ ने अदालत के सामने अपना अपराध क़बूल कर लिया था। लेकिन उनके परिवार वालों ने फ़ौरन ही अमरीकी सरकार से इस फ़ैसले पर दोबारा विचार करने की अपील की है।
अदालत में अभियोजन पक्ष का कहना था कि अंडरवियर में रखे बम से उमर फ़ारूक़ बुरी तरह जल गया था लेकिन वो बम को पूरी तरह विस्फोट करने में कामयाब नहीं हो सका था।
एमस्टर्डम से अमरीका के डेट्रॉएट जा रहे यात्री विमान में उस समय तीन सौ लोग मौजूद थे। अदालत में फ़ैसला सुनाते समय उस विमान में जा रहे कुछ यात्री भी उपस्थित थे।
जस्टिस नैन्सी एडमंड्स ने अपना फ़ैसला सुनाते हुए कहा, ''यह एक आतंकवादी घटना थी जिसके साथ टाल मटोल नहीं की जा सकती थी.'' उमर फ़ारूक़ ख़ुद लंदन के यूनिवर्सिटी कॉलेज से पढ़ाई करने वाला एक इंजीनियर है और उसके पिता नाइजीरिया के एक बैंक में काम करते हैं। उमर फ़ारूक़ पर आंतकवाद और हत्या की कोशिश समेत कुल आठ मुक़दमे दर्ज थे।
उमर फ़ारूक़ के परिवार वालों ने बीबीसी को बयान जारी कर कहा कि वे लोग इस बात के लिए भगवान का शुक्रिया अदा करते हैं कि उस दिन के दुर्भाग्यपूर्ण घटना में किसी की जान नहीं गई और ना ही कोई घायल हुआ।
अमरीका से अपील करते हुए परिवार ने कहा, ''हमलोग अमरीका के न्याय विभाग से इस फ़ैसले पर पुनर्विचार करने की पुरजो़र मांग करते हैं। हमलोग नाइजीरिया की सरकार से भी अपील करते हैं कि वो अमरीकी सरकार से इस बारे में बात करे ताकि इस फ़ैसले पर दोबारा विचार किया जा सके.''
अदालत में बहस के दौरान उमर फ़ारूक़ के वकील ने कहा कि उमर फ़ारूक़ को उम्र क़ैद की सज़ा सुनाना ग़ैर-संवैधानिक होगा क्योंकि उस घटना में कोई ज़ख़्मी नहीं हुआ था।
लेकिन अभियोजन पक्ष का कहना था कि अभियुक्त को उम्र क़ैद की सज़ा दी जानी चाहिए क्योंकि आंतकी हमले की कोशिश करने से लोगों में दहशत फैलती है और हवाईअड्डों पर सुरक्षा बढ़ाने के लिए काफ़ी संयत्र लगाने पड़ते हैं जो बहुत मंहगे होते हैं और उनके कारण लोगों का काफ़ी समय लगता है। अदालत ने अभियोजन पक्ष की मांग को स्वीकारते हुए उमर फ़ारूक़ को उम्र क़ैद की सज़ा सुना दी।
चेतावनी
अदालत के फ़ैसले के बाद उमर फ़ारूक़ का कहना था, ''आज का दिन मेरे लिए जीत का दिन है। भगवान महान है। अदालत में जो बातें कहीं गई उनके जवाब में मैं यहीं कहूंगां कि बेक़सूर नागरिकों पर हमले के कारण मेरी और कई मुसलमानों की ज़िंदगियां भी काफ़ी बदल गई हैं.''
अक्तूबर 2011 में मुक़दमे की सुनवाई के दूसरे दिन अचानक उमर फ़ारूक़ ने अपने उपर लगाए लग सभी आरोपों को स्वीकार कर लिया था। उस समय उसने कहा था, ''अमरीका को चेतावनी देता हूं कि अगर वो इसी तरह से बेगुनाह मुस्लिमों को मारते रहेगा या उनकी मदद करता रहेगा जो बेगुनाह मुसलमानों को मारते हैं तो अमरीका को भी किसी बड़ी विपत्ति का इंतज़ार करना चाहिए.''
इस मामले की जांच करने वालों का कहना है कि उमर फ़ारूक़ ने स्वीकार किया था कि अल-क़ायदा के लिए काम कर रहा था और वो अल-क़ायदा के नेता अनवर अल-अवलाकी से काफ़ी प्रेरित था और उनसे मिल भी चुका था। अवलाकी 2011 में यमन में हुए अमरीकी ड्रोन हमले में मारे गए थे।
नाइजीरिया से एमस्टर्डम आने से पहले उमर फ़ारूक़ ने अल-क़ायदा से प्रशिक्षण लिया था और उन्हीं से बम लेकर विमान में चढ़ा था। लेकिन ताज्जुब की बात है कि उसके अंडरवियर में छुपे बम को ना तो नाइजीरिया में लागोस हवाई अड्डे पर औऱ ना ही एम्सटर्डम हवाई अड्डे पर पकड़ा जा सका।
उमर फ़ारूक़ के पिता का कहना है कि उन्होंने 2009 में नाइजीरिया के अधिकारियों और वहां अमरीकी दूतावास के लोगों को अपने पुत्र की गतिविधियों के बारे में जानकारी दे दी थी। उमर फ़ारूक़ पर अमरीका में नज़र रखी जा रही थी लेकिन उस सूचि में उसका नाम नहीं था जिसे अमरीका में विमान यात्रा करने की इजाज़त नहीं है।
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