कानपुर (ब्यूरो)। जम्मू कश्मीर के पुंछ जिले में टेररिस्ट के देखे जाने की सूचना पर सेना की बटालियन सर्च ऑपरेशन चला रही थी। सर्च ऑपरेशन के दौरान थर्सडे को बटालियन पर टेररिस्ट ने अटैक कर दिया। इस अटैक से अफरा-तफरी मच गई। जिसमें देश के पांच जवान शहीद हो गए। शहीद हुए पांच जवानों में कानपुर के भाऊपुर गांव का भी एक लाल करण सिंह शामिल है। बेटे के शहीद होने की खबर मिलते ही परिजनों और आस-पास के इलाके में मातम छा गया।
युवा होते ही देश सेवा का जज्बा
बिल्हौर तहसील क्षेत्र के भाऊपुर गांव निवासी बालक राम यादव खेती करते हैं। बालक राम के दो बेटे करण सिंह व अनुज सिंह में बड़ा बेटा कर्ण ने युवावस्था में आते-आते अपना कॉरियर दिमाग में सेट कर लिया था। देश सेवा का जज्बा और दुश्मनों के छक्के छुड़ाने का जुनून पाल कर कर्ण सिंह ने फौज की तैयारी शुरू की। 2013 में सेना में ज्वाइनिंग के साथ उसने अपना सपना पूरा कर लिया। सात साल पहले उसकी शादी अंजू देवी के साथ हुई थी। उसकी 5 साल की बेटी आर्या और 2 साल का बेटा आयुष है। वर्तमान में वह जम्मू कश्मीर में आरआर बटालियन में तैनात था। परिजनों के अनुसार कर्ण अगस्त में छुट्टी पर घर आया था। बेटे से अंतिम बार वेडनसडे की शाम फोन कॉल पर बात हुई थी और उसने फरवरी में छुट्टी पर आने की बात कही थी।
देर रात मिली सूचना
शहीद के पिता के अनुसार देर रात सहकर्मी ने घटना की सूचना कानपुर में किराए पर रहकर बच्चों की परवरिश कर रही उनकी बहू को दी। बहू ने रात में ही घटना की जानकारी उनको दी। बताया गया कि बीते वेडनसडे की रात पुंछ जिले में डेरा की गली जंगल में कुछ आतंकवादी देखे जाने की सूचना पर सेना की आर आर बटालियन ने आतंकियों को पकडऩे के लिए सर्च ऑपरेशन शुरू किया था। थर्सडे की शाम वाहनों पर सवार होकर घने जंगल में डेरा की गली बल्फियाज मार्ग से गुजरते समय आतंकियों ने सेना की वाहनों पर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी थी। हमले में गाड़ी चला रहे नायक चालक कर्ण सिंह सहित पांच जवान शहीद हो गए और दो जवान गंभीर रूप से घायल हो गए।
परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़
देर रात घटना की खबर मिलते ही वृद्ध मां सावित्री देवी, पत्नी अंजू और मासूम बच्चों पर गमों का पहाड़ टूट पड़ा। बेटे की शहादत पर गर्व महसूस कर रहे गमगीन पिता बालक राम ने कहा कि देश सेवा के लिए वह अपना दूसरा बेटा भी सेना में भेजना चाहते थे, लेकिन उनका ये सपना पूरा नहीं हो सका। खबर मिलते ही सभी ग्रामीण उनके घर पहुंचने लगे और पूरे गांव में मातम छा गया। जानकारी के बाद उप जिलाधिकारी रश्मि लांबा और तहसीलदार ने पीडि़त परिवार के घर पहुंच कर परिजनों को सांत्वना दी।