कानपुर(ब्यूरो)। शहर में जगह जगह वाटर लाइन में लीकेज से पानी की बर्बादी हो रही है तो वहीं दूसरी तरफ लोगों के घरों तक पानी नहीं पहुंच रहा है। लेकिन, लीकेज से करोड़ों की सडक़ें भी बर्बाद हो हरी हैं। इनमें नगर निगम, पीडब्ल्यूडी समेत अन्य विभागों की सडक़ें शामिल है। लीकेज की वजह से पीडब्ल्यूडी और नगर निगम की 1.28 करोड़ रुपए की सडक़ धंस गई है। इसकी मुख्य वजह घटिया पाइप लाइन है, जिस वजह से आए दिन लीकेज की समस्या आम हो गई है। बावजूद इसके जलनिगम के अधिकारी कोई ठोस कदम नहीं उठा रहे हैं।
जलनिगम को नोटिस भेजा
दो साल पहले नगर निगम ने बर्रा विश्वबैंक के डी ब्लाक में करीब 400 मीटर की सडक़ 42 लाख की लागत से बनाई थी। इस सडक़ के नीचे से जलनिगम की पेयजल लाइन है। दो दिन पहले इस रोड पर पांच लीकेज होने से पानी सडक़ पर बहा और वाहनों का आवागमन होने से सडक़ दो जगह धंस गई। आसपास के व्यापारियों ने सीएम पोर्टल में शिकायत की और पार्षद को सूचना दी। पार्षद की शिकायत पर नगर निगम अधिकारियों ने निरीक्षण कर जलनिगम को नोटिस भेजा। नगर निगम जोन-3 के एक्सईएन ने बताया कि जलनिगम ने मरम्मत कार्य के लिए अनुमति नहीं ली है।
पीडब्ल्यूडी की सडक़ बर्बाद
पीडब्ल्यूडी ने बर्रा शास्त्री चौक से पटेल चौक होते हुए फूलमंडी तक करीब 86 लाख की सडक़ बनाई थी, जिसपर हर साल जल निगम की पेयजल लाइन में लीकेज होने से सडक़ की दुर्दशा हो रही है। बीते वर्ष इस रोड पर बर्रा दो संकटमोचन मंदिर के सामने और इलाहाबाद बैंक के सामने लीकेज की वजह से सडक़ खराब हो गई। इसके बाद तीन माह पहले ही पटेल चौक से पहले ही एक लीकेज होने से सडक़ खोदकर मरम्मत कार्य हुआ।
सडक़ बन भी नहीं पाई और तीन दिन पहले बर्रा तीन में दारोगा गेस्टहाउस के सामने भी जलनिगम की लाइन में फिर लीकेज हो गया, जिसे बनाने के लिए टीम ने एक बार फिर खोदाई कर उसकी मरम्मत की। पीडब्ल्यूडी के सहायक अभियंता एके मिश्र ने बताया कि रोड कङ्क्षटग जल निगम की ओर से कराई गई है। उन्हें पत्र लिखा गया है कि वह सडक़ की क्षतिपूर्ति राशि जमा कराएं लेकिन उनकी ओर से बताया जा रहा है कि सडक़ बनाकर देंगे।
ये है मुख्य वजह
14 साल पहले जवाहरलाल नेहरू नेशनल अर्बन रिन्यूवल मिशन (जेएनएनयूआरएम) के तहत शहर में 450 करोड़ से पेयजल लाइन बिछाई गई थी। घटिया पाइप लाइन की वजह से एक तरफ विभागों को दिक्कत हो रही है तो वहीं, लीकेज के कारण लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.जलनिगम के अधिकारी भी बिना अनुमति सडक़ खोदकर लीकेज तो बना देते हैं, लेकिन उनकी इस समस्या से करोड़ों की सडक़ें डूब चुकी हैं, जिसका स्थायी समाधान अब तक नहीं हो पा रहा हैं। वहीं, जल निगम के र्एई राहुल तिवारी ने बताया कि जिन जगहों पर लीकेज होता है, उसे फौरन ही ठीक कर दिया जाता है। बर्रा विश्वबैंक में भी लीकेज का काम चल रहा है।
इस वजह से हो रही परेशानी
-घटिया पाइप लाइन का डाला जाना
-विभागों में सामंज्य न होना
-बिना परमीशन के रोड्स की कटिंग
-टेलीकॉम केबिल डालने के लिए ड्रिलिंग
-प्रॉपर मेंटिनेंस न किया जाना
-लीकेज का देरी से पता चल जाना