कनाडा में हुए एक शोध में पता चला है हर हफ़्ते एक घंटे अधिक टीवी देखने पर कमर का घेरा आधा मिलिमीटर तक बढ़ जाता है और मांसपेशियों की ताक़त घटती है सो अलग। बायोमेड सेंट्रल जर्नल में प्रकाशित इस शोध में 1,314 बच्चों के टीवी देखने की आदतों का अध्ययन किया गया।
विशेषज्ञ कहते हैं कि बच्चों को एक दिन में दो घंटों से ज़्यादा टीवी नहीं देखना चाहिए। शोधकर्ताओं को पता चला कि जब शोध शुरु किया तो बच्चे हर हफ़्ते औसतन 8.8 घंटे टीवी देखते थे। लेकिन अगले दो वर्षों में जब बच्चे साढ़े चार वर्ष के हुए तो हर हफ़्ते टीवी देखने का औसत 14.8 घंटे हो चुका था।
शोध में शामिल बच्चों में से 15 प्रतिशत हर हफ़्ते 18 घंटों से ज़्यादा टीवी देख रहे थे। शोध में कहा गया है कि साढ़े चार वर्ष की उम्र में हर हफ़्ते 18 घंटे टीवी देखने का मतलब है कि 10 वर्ष की उम्र तक कमर के घेरे में 7.6 मिलिमीटर की अतिरिक्त बढ़ोत्तरी.
शारीरिक क्षमता भी घटी
कमर का घेरा नापने के अलावा शोधकर्ताओं ने बच्चों पर लंबी कूद का भी परीक्षण किया, जिससे कि बच्चों की मांसपेशियों की ताकत और शारीरिक मज़बूती का पता लगाया जा सके। शोधकर्ताओं का कहना है कि एक घंटे अतिरिक्त टीवी देखने से बच्चे के कूदने की क्षमता 0.36 सेंटीमीटर घट जाती है।
हालांकि शोधकर्ताओं का कहना है कि बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर जो नतीजे उन्होंने निकाले हैं उसका सीधा ताल्लुक टीवी देखने भर से है या इसकी कुछ और है। इस शोध की सहलेखक डॉ लिंडा पैगनी यूनिवर्सिटी मॉन्ट्रियल में कार्यरत हैं। वो कहती हैं कि टीवी देखने की आदत उन वजहों में से एक हो सकती है जिससे बच्चों में मोटापा पनपता है।
डा पैगनी कहती हैं, "सीधी बात ये है कि एक सीमा से ज्यादा टीवी देखना ठीक नहीं है." अमरीकन एकैडेमी ऑफ़ पेडियाट्रिक्स का कहना है कि दो वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों को हर दिन दो घंटों से अधिक टीवी नहीं देखना चाहिए।
डॉ पैगनी का कहना है कि पूरे पश्चिम में बच्चों और वयस्कों दोनों में अनावश्यक वज़न बढ़ा है। उनका कहना है, "टीवी देखने की वजह से हमारी जीवन शैली भी बदली है और अब हम आसानी से तैयार होने वाला खाना खाते हैं, जिसमें ज्यादा कैलोरी होती है और हमारी निष्क्रियता बढ़ती है." इस शोध में ये भी कहा गया है कि बचपन में टीवी देखने की आदतों की वजह से वयस्क होते तक शारीरिक मजबूती पर भी बहुत असर पड़ता है।
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