दुनिया के अनेक देशों में बच्चों की मदद के लिए हेल्पलाइन चलाने वाली संस्थाओं के संगठन 'चाइल्ड हेल्पलाइन इंटरनेशनल' का कहना है कि मानव विकास सूचकांक में शीर्ष पर आने वाले देशों में बड़ी संख्या में बच्चे दुखी और परेशान हैं।
'चाइल्ड हेल्पलाइन इंटरनेशनल' का कहना है कि मानव विकास सूचकांक के नौ अग्रणी देशों में अत्याचार और प्रताड़ना के बाद बच्चों के हेल्पलाइन से संपर्क करने का मुख्य कारण मानसिक समस्याएँ हैं।
चाइल्ड हेल्पलाइन इंटरनेशनल के नीति एवं शोध विभाग के प्रमुख रवि प्रसाद कहते हैं कि "बेहतर समझी जाने वाली जीवनशैली और मनोरंजन की बीसियों सुविधाएँ होने के बावजूद बच्चे ख़ुद को तिरस्कृत महसूस करते हैं और वे अक्सर हेल्पलाइनों को फ़ोन करके बताते हैं कि वे बोर हो रहे हैं या उनकी परवाह करने वाला कोई नहीं है"।
चाइल्ड हेल्पलाइन इंटरनेशनल ने हेल्पलाइनों पर आने वाले फ़ोन कॉल्स के आधार पर जो आंकड़े जमा किए हैं उनसे पता चलता है कि न्यूज़ीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, अमरीका, आयरलैंड, नीदरलैंड्स, कनाडा, स्वीडन और जर्मनी में हर साल हज़ारों बच्चे अपनी समस्याओं के बारे में बात करने के लिए हेल्पलाइन पर फ़ोन करते हैं।
रवि प्रसाद कहते हैं, "हमने मानव विकास सूचकांक के नौ अग्रणी देशों में किए गए ढाई लाख से ज्यादा फ़ोन कॉल्स के आधार पर कुछ निष्कर्ष निकाले हैं जो काफ़ी चौंकाने वाले हैं, इन देशों में तमाम सुविधाओं के बावजूद कहीं न कहीं कोई बड़ी सामाजिक गड़बड़ी है जिसकी ओर हमारी रिपोर्ट इशारा करती है."
चाइल्ड हेल्पलाइन को फ़ोन करने वाले कई बच्चे आत्महत्या करने के बारे में बातें करते हैं, नौ अग्रणी देशों में मानसिक समस्या की वजह से फ़ोन करने वाले बच्चों में बहुत सारे ऐसे होते हैं जिनमें आत्महत्या की प्रबल प्रवृत्ति दिखाई देती है।
रिपोर्ट के मुताबिक़ अमरीका और न्यूज़ीलैंड जैसे देशों में जितने बच्चों ने हेल्पलाइन को फ़ोन किया उनमें से 30 प्रतिशत से अधिक बच्चों में आत्महत्या की प्रवृत्ति देखी गई।
मसलन, पिछले वर्ष न्यूज़ीलैंड में लगभग 20 हज़ार और अमरीका में करीब 14 हज़ार बच्चों ने चाइल्ड हेल्पलाइन को फ़ोन करके आत्महत्या करने की इच्छा के बारे में बात की।
इसी तरह ख़ुद को नुक़सान पहुँचाने वाली हरकतें करने के मामले में नौ अग्रणी देशों के बच्चे काफ़ी आगे हैं, इन देशों में बड़ी संख्या में बच्चों ने फ़ोन करके शराब पीने, ड्रग्स लेने की समस्या के बारे में बात की।
International News inextlive from World News Desk