कानपुर(ब्यूरो)। टीनएजर्स लड़कियां कभी-कभी पैरेंट्स के डांटने या फिर अफेयर के चक्कर में घर छोड़कर भाग जाती हैं। पैरेंट्स की ओर से शिकायत मिलने पर पुलिस उन्हें ढूंढ निकालती है, लेकिन इसके बावजूद वो घर नहीं जा पाती हैं। कानपुर के नारी निकेतन में ऐसी ही 30 लड़कियां हैं, जो घर जाने की राह देख रही हैं। लेकिन बालिग न होने की वजह से घर नहीं जा पा रही हैं।
ये पेंच फंस रहा मामलों में
दरअसल, इनके परिवार वालों ने गुमशुदगी के साथ-साथ किडनैपिंग की रिपोर्ट भी दर्ज कराई थी। पुलिस ने पीडि़ताओं को बरामद करने के बाद जब इनके बयान दर्ज कराए तो इनमें से कहीं किडनैपिंग की पुष्टि नहीं हुई, जिसके बाद इन लड़कियों को नारी निकेतन भेज दिया गया। कानूनी सलाहकारों की मानें तो किडनैपिंग में केस दर्ज होने के बाद जब तक किडनैपिंग सिद्ध नहीं हो जाती, तब तक पीडि़ताओं को कस्टडी में रखना पड़ता है। चूंकि पुलिस कस्टडी में ज्यादा दिनों तक रखा नहीं जा सकता लिहाजा उन्हेें नारी निकेतन भेज दिया जाता है।
दिल्ली और मुंबई की एजेंसियां
एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग सेल के एक सूत्र ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कई मामले चकेरी और कल्याणपुर के ऐसे हैैं, जिनमें लड़कियों की जानकारी मिल चुकी है। दो दर्जन से ज्यादा लड़कियां ऐसी हैैं जो माता-पिता की इज्जत की खातिर घर लौैटने को तैयार नहीं हैैं। जानकारी की गई तो पता चला कि ये लड़कियां दिल्ली और मुंबई की एजेंसियों के मार्फत दूसरे के घरों में काम कर रही हैैं। जिनकी जानकारी परिजनों को भी है, ऐसे मामलों में फाइनल रिपोर्ट लगा दी गई है।
5 से 15 हजार तक का है ईनाम
आज तक 50 फीसद लड़कियों का पता नहीं चला है। इनमें से कई मामले ऐसे हैैं। जिनमें 5 से 15 हजार तक के ईनाम का ऐलान भी किया जा चुका है। एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग सेल की माने 2023 में घर से भागी किशोरियों, महिलाओं और युवतियों में पचास फीसद से ज्यादा शादीशुदा महिलाएं हैैं। इनमें से भी 50 फीसद महिलाएं हाई प्रोफाइल हैैं।
किडनैपिंग का केस दर्ज होने पर पहले तो केस का फाइनल होना जरूरी होता है। बरामदगी के बाद इस तरह की समस्याएं सामने आ रही हैैं, जिनका निदान केवल केस फाइनल होने पर ही मिलेगा।
संदीप शुक्ला, एडवोकेट हाईकोर्ट
जो लड़कियां नारी निकेतन में हैैं। उनकी देखभाल प्रशासन कर रहा है। जो मामले पेंडिंग में हैैं, उन पर पुलिस की टीमें लगी हुई हैैं।
आनंद प्रकाश तिवारी, जेसीपी