कानपुर(ब्यूरो)। मनीष गुप्ता के हत्यारोपी पुलिसकर्मियों को जमानत मिलने के आठ-दस घंटे बाद ही रिहाई मिल गई, लेकिन बिकरू कांड की आरोपी खुशी दुबे जमानत मिलने के 11 दिनों बाद भी जेल में है। पुलिस द्वारा जमानतदारों का सत्यापन जानबूझकर नहीं करने के आरोप लगने के बाद रविवार को पनकी पुलिस खुशी के घर पहुंची और सत्यापन किया। हालांकि किदवई नगर पुलिस ने अब तक कार्यवाही शुरू नहीं की है।
2 जुलाई 2020 को
दो जुलाई 2020 को बिकरू में छापा मारने गई पुलिस टीम पर विकास दुबे के गुर्गों ने हमला कर दिया था, जिसमें सीओ सहित आठ पुलिसकर्मी शहीद हुए थे। मामले में पुलिस ने मुठभेड़ में मारे गए अमर दुबे की पत्नी खुशी दुबे को भी जेल भेजा था। 544 दिन बाद 4 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट से खुशी को जमानत मिल गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने सेशन कोर्ट को जमानत की शर्तें तय करने का आदेश दिया था। 11 जनवरी को शर्तें तय हुई, जिसके बाद खुशी की बहन नेहा तिवारी और पिता श्याम लाल ने डेढ़-डेढ़ लाख रुपये के बंधपत्र और फर्जी सिम प्रकरण में बहन नेहा तिवारी और भाई पूर्णेश ने 35-35 हजार रुपये के बंधपत्र अदालत में पेश किए थे। नियमानुसार पुलिस जब जमानतदारों का सत्यापन करेगी, उसके बाद ही रिहाई का रास्ता खुलेगा।
पनकी पुलिस ने किया वेरिफिकेशन
खुशी का परिवार पनकी थाने में रहता है, जबकि बहन किदवईनगर निवासी है। मगर, पनकी व किदवईनगर पुलिस ने जमानतदारों का सत्यापन नहीं किया था। परिवार ने मीडिया के सामने जब इस समस्या को रखा तो रविवार को पनकी पुलिस खुशी के घर पहुंची और सत्यापन किया।
11 जनवरी का आदेश
अधिवक्ता शिवाकांत दीक्षित ने शनिवार को मीडिया को दस्तावेज जारी किए थे, जिसमें दावा किया गया कि पुलिस को अदालत का आदेश 11 जनवरी को ही मिल गया था। डाक विभाग के रिकार्ड के अनुसार पनकी पुलिस को 11 जनवरी को शाम पांच बजकर 29 मिनट 50 सेकेंड पर स्पीड पोस्ट किया गया, जोकि उसी दिन रात आठ बजकर 34 मिनट 14 सेकेंड में थाने पहुंच गया। इसी तरह किदवई नगर थाने में शाम पांच बजकर 34 मिनट 53 सेकेंड पर स्पीड पोस्ट किया गया, जोकि उसी दिन रात आठ बजकर 52 मिनट 25 सेकेंड में थाने पहुंचा।