कानपुर(विकास सिंह)। स्वदेशी प्रोडक्ट की पहचान बनी खादी सरकार की नीतियों व स्वदेशी निर्माताओं के प्रयास से अपनी अलग पहचान बना रही है। कभी बुजुर्गों और नेताओं तक सीमित खादी अब युवाओं की फेवरिट बन चुकी है। सर्वोदय नगर स्थित स्वराज आश्रम में खादी से बनी डेनिम शर्ट युवाओं के फैशन ट्रेंड को देखते हुए बनाई गई है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी की मदद से शर्ट को डिजाइन किया गया है। वहीं दुकानों मेंं महिलाओं व पुरुषों के लिए विभिन्न प्रकार की शर्ट, पैैंट, कुर्ता पजामा, तौलिया, रुमाल, सलवार सूट, टॉप, मैक्सी व साडिय़ां रियायती रेट में अवेलेबल हैैं।

ट्रेंड को कर रहे फॉलो
स्वराज आश्रम के सेक्रेटरी प्रेम सिंह ने बताया कि लोग खादी से बने कपड़े पसंद कर रहे हैैं। कॉटन की डेनिम ने खाकी के साथ मिलकर एक शर्ट तैयार की है। जो हर मौसम में पहनी जा सकती है। एक समय था जब लोग खादी के ही कपड़े यूज करते थे। लेकिन अब समय के साथ लोग ट्रेंंड को फॉलो कर रहे हैं। इसलिए स्वराज आश्रम ने खादी से बने ट्रेंडिग रेडीमेड कपड़े तैयार किये हैं, जो सीनियर सिटीजन से लेकर युवाओं की पसंद बन रहे हैैं। कभी कभार किसी आर्टिकल की डिमांड उत्पादन से अधिक हो जाती है। तब अन्य ब्रांच से उस पीस को मंगाकर कस्टमर को उपलब्ध कराया जाता हैै। स्वराज आश्रम की कुल 40 ब्रांच हैैं।

इतने प्रकार की खादी
खादी को प्रमुख तौर पर चार कैटेगरी में डिवाइड किया जा सकता है। कॉटन खादी, वूलेन खादी, सिल्क खादी, पॉली खादी में विभिन्न प्रकार के कपड़े डिमांड के हिसाब से बनाए जाते हैैं। सिल्क खादी व वूलेन खादी के बने कपड़े आमतौर पर महंगे होते हैैं। सिल्क खादी को शुद्ध रेशम के धागों से बनाया जाता है। वहीं कॉटन खादी में शुद्ध सुती धागों का यूज किया जाता है। पॉली खादी के कपड़े मिक्स खादी के होते हैैं। पॉली खादी से सबसे अधिक लेडीज साडियां बनायी जातीं हैं।

खादी के कपड़ों की विशेषता
-खादी से बने कपड़े एन्वायरमेंट फ्रेंडली होते हैैं।
-सूत को चरखे की मदद से बनाया जाता है।
-गर्मियों में ठंडक देते है और सर्दी में गर्माहट
-कपड़े हल्के होते हैैं व जल्दी ड्राई हो जाते हैैं।
-इसको पहनने पर प्रीमियम लुक आता है।
-खादी स्वतंत्रता संग्राम के संघर्ष का प्रतीक है।

2 अक्टूबर से बंपर डिस्काउंट
सर्वोदय नगर स्थित स्वराज आश्रम के सेक्रेटरी प्रेम सिंह सेंगर ने बताया कि गांधी जयंती के दिन से लगने वाली एग्जिबिशन में सभी प्रोडक्ट्स पर बंपर डिस्काउंट मिलेगा। एक्सीबिशन 4 महीने तक चलेगी। जिसमें सभी उम्र की महिलाओं व पुरुषों के लिए प्रोडक्ट अवेयलेवल हैै। इसके साथ ही घरेलू उपयोग के पूजा पाठ में आने वाली सामग्री भी उपलब्ध होगी।

आंदोलन व 20 लाख चरखे
आजादी के आंदोलन में क्रांतिकारी स्वदेशी सामानों के प्रयोग को बल दे रहे थे। 1921 में असहयोग आंदोलन के दौरान सूती कपड़ो के उपयोग के टारगेट को पुरा करने के लिए 20 लाख चरखों को चलाना जरूरी समझा गया। तब कानपुर के गंगा नारायण अवस्थी व रामानंद गुप्त के संयुक्त प्रयास से आश्रम की नींव डाली गई। इसके लिए बंगाली मुहाल स्थान को चुना गया जहां चर्खे लगाए गए।