-मिनिस्ट्री ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाईवेज की रिपोर्ट में खुलासा, हादसों से मौत में देश में 5वां शहर
-क्रैश सिविएरिटी यानी प्रति 100 हादसों में मरने वालों की दर कानपुर में देश में सबसे ज्यादा
KANPUR: सिटी की रोड्स पर होने वाले हादसों में मौतों की दर पूरे देश में सबसे ज्यादा है। इसकी पुष्टि यूनियन मिनिस्ट्री ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाईवे की सड़क हादसों पर 2019 की रिपोर्ट में हुई है। जिसके मुताबिक कानपुर में प्रति 100 हादसों में मरने वालों की दर देश के 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले किसी भी दूसरे शहर के मुकाबले सबसे ज्यादा 45.5 है। इस रिपोर्ट के मुताबिक कानपुर देश के प्रमुख शहरों में रोड एक्सिडेंट्स में होने वाली मौतों के मामले में 5वें नंबर पर है। यहां 2019 में रोड एक्सिडेंट्स में 692 लोगों की जान चली गई। मालूम हो कि इस रिपोर्ट से पहले नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो की रोड एक्सिडेंट्स व सुसाइड पर जारी 2019 की रिपोर्ट में भी कानपुर की स्थिति बेहद चिंताजनक थी।
बड़े शहरों के मुकाबले
कानपुर में रोड एक्सीडेंट के बाद मौतों की दर दिल्ली, चेन्नई जैसे मेट्रो सिटीज से कहीं ज्यादा है। दिल्ली में क्रैश सिविएरिटी 26.1 है तो चेन्नई में 18.4 । यूनियन रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाईवे मिनिस्ट्री की इस रिपोर्ट में 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों को शामिल किया गया है। देश में औसत क्रैश सिविएरिटी दर 33.7 है। जबकि यूपी में यह दर 53.2 है। इस रिपोर्ट के मुताबिक कानपुर में 2018 के मुकाबले 2019 में रोड एक्सिडेंट्स बढ़े हैं, लेकिन उससे होने वाली मौतों में कुछ कमी आई है। 2018 में जहां रोड एक्सिडेंट्स में हुई मौतों की संख्या 698 थी तो वहीं 2019 में 692 मौतें हुई।
एक नजर में
सबसे ज्यादा मौतें इन शहरों में
शहर- मौतें- क्रैश सीविएरिटी रेट
दिल्ली-1463-26.1
जयपुर-1283-30
चेन्नई-1283-18.4
बेंगलुरू-768- 16.4
कानपुर-692- 45.5
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2018 और 2019 में कानपुर में हादसे-
साल-रोड एक्सिडेंट-मौतें- घायल
2019- 1,588-692- 1,043
2018-1,507- 698- 1,211
हेल्मेट और सीटबेल्ट न लगाने से मौत
29.82 परसेंट- मौतें टू व्हीलर्स वालों की हेल्मेट नहीं लगाने से
13.82 परसेंट- सीट बेल्ट नहीं लगाने से होने वाली मौतें
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36.2 परसेंट- रोड एक्सीडेंट्स में टू व्हीलर्स चलाने वालों की मौतें सबसे ज्यादा
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यूपी में कैश सिविएरिटी की दर - 53.2
आल इंडिया एवरेज- 33.7
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नोट- सभी आंकड़े केंद्रीय सड़क परिवहन एवं हाइवे मंत्रालय की रोड एक्सिडेंट्स इन इंडिया 2019 की रिपोर्ट से