कानपुर (ब्यूरो)। सीएसजेएमयू से एफिलिएटेड कॉलेजों में कम हो रही स्टूडेंट्स की संख्या का सीधा असर सेल्फ फाइनेंस टीचर्स पर पड़ रहा है। उनकी नौकरी पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं। सेल्फ फाइनेंस कोर्सेस में एडमिशन कम होने पर कई ऐडेड कालेजों ने टीचर्स को स्कूल आने से रोका है। इसके अलावा ऐडेड कालेजों में सेल्फ फाइनेंस डिपार्टमेंट में टीचर्स की संख्या को कम किया जा रहा है। यह हाल सीएसजेएमयू से एफिलिएटेड कानपुर के अलावा अन्य जिलों के कॉलेेजों का भी है। बताया जा रहा है कि कानपुर के अलावा संबद्धता पाने वाले छोटे जिलों के कालेजों का हाल इससे भी बुरा है। बताते चलें कि सीएसजेएमयू से लगभग 620 कालेज एफिलिएटेड हैैं, जिसमें 550 से ज्यादा कालेज सेल्फ फाइनेंस हैैं।
सेल्फ फाइनेंस में टीचर संख्या कम
सेल्फ फाइनेंस कालेजों की स्थिति तो और भी खराब हो चुकी है। एडमिशन कम होने से स्टूडेंट कैपिसिटी घटने की संख्या से जूझ रहे कालेजों ने टीचर्स को कम करना शुरू कर दिया है। कालेजों संचालकों का कहना है कि उनकी फाइनेंशियल कंडीशन पूरी तरह स्टूडेंट्स से मिलने वाली फीस पर निर्भर है। स्टूडेंट्स की फीस से ही टीचर्स को सैलरी देते हैैं। ऐसे में जब स्टूड़ेंट ही नहीं है तो वह सैलरी कहां से देंगे। ऐसे में टीचर्स को अफोर्ड करना मुश्किल हो रहा है।
वीसी से करेंगे बात
यूनिवर्सिटी की ओर से अप्रूव्ड सेल्फ फाइनेंस टीचर्स को कॉलेज वाले आने से मना कर रहे हैैं। कानपुर विश्वविद्यालय स्ववित्तपोषित शिक्षक संघ के महामंत्री डॉ। अखंड प्रताप सिंह ने कहा कि कई ऐडेड कॉलेजों ने टीचरों को सैलरी का अभाव बताकर आने से मना कर दिया है। इस मामले पर वह सीएसजेएमयू के वीसी प्रो। विनय कुमार पाठक से मुलाकात करके बातचीत करेंगे और समस्या से अवगत कराएंगे। एक झटके में नौकरी जाने से सेल्फ फाइनेंस टीचरों के सामने जीवनयापन का संकट खड़ा होगा।
दो से तीन महीने की छुट्टïी
सिटी के कई कॉलेज ऐसे हैैं, जिन्होंने सेल्फ फाइनेंस टीचर्स को दो से तीन महीने की छुट्टïी भी दे रखी है। बताया जा रहा है कि सिटी के कई ऐडेड कालेजों ने एग्जाम के बाद टीचरों को छुट्टïी पर भेज दिया। एडमिशन के समय तक उनको कॉलेज नहीं बुलाया गया है। कइयों को अगस्त को कुछ को सितंबर महीने से कॉलेज बुलाया गया है। ऐसे में छुट्टïी वाले महीनों में उनको सैलरी भी नहीं दी गई है। कुछ कॉलेजों ने तो टीचर्स की सैलरी को भी कम कर दिया है।
टीचर को एग्जामिनर बनाने की मांग
उप्र स्ववित्तपोषित महाविद्यालय एसोसिएशन के अध्यक्ष विनय त्रिवेदी ने बताया कि यूनिवर्सिटी से एफिलिएटेड 90 परसेंट कॉलेज सेल्फ फाइनेंस हैैं। बीते दिनों एग्जाम कमेटी में पास हुआ है कि वायवा और प्रैक्टिकल में केवल ऐडेड या गवर्नमेंट कालेज के टीचरों को ही एग्जामिनर बनाया जाएगा। इस मामले पर उन्होंने वीसी प्रो। विनय कुमार पाठक से मुलाकात की है। सेल्फ फाइनेंस कॉलेज के टीचरों को भी एग्जामिनर बनाया जाना चाहिए। इसके अलावा घटती स्टूडेंट्स संख्या के कारण कालेजों की संचालन मुश्किल हो रहा है। ऐसे में डिमांडिंग स्किल्ड कोर्स चलाने के लिए शासन के अफसरों से मुलाकात की गई है।
इसलिए घट रही है स्टूडेंट्स की संख्या
स्टूडेंट््स के लगातार घटने की समस्या सिर्फ सेल्फ फाइनेंस कॉलेजों की ही नही हैं बल्कि ऐडेड और गवर्नमेंट कॉलेजों में संख्या घटी है। अधिकांश कॉलेजों में बीए, बीएससी की आधी से ज्यादा सीटें खाली पड़ी हैं। शहर के वो रेप्यूटेड कॉलेज जहां कभी एडमिशन मिलना स्टूडेंट््स का ड्रीम होता है और बड़े बड़े मंत्रियों, अधिकारियों की सिफारिशें आती थीं, वहां भी स्टूडेंट्स कम हो रहे हैं। ऐसे में कॉलेजों ने एंट्रेस टेस्ट बंद कर डायरेक्ट एडमिशन देना शुरू कर दिया है। दरअसल कोई स्टूडेंट अब सिम्पल ग्रेजुएशन कर तीन साल बर्बाद नहीं करना चाहता है। वो मेडिकल, इंजीनियरिंग और अन्य जॉब ओरिएंटेड कोर्स करना चाहता है। जिससे उसे आसानी से नौकरी मिल सके। इसके चलते कई डिग्री कॉलेजों ने भी अपने यहां सेल्फ फाइनेंस मोड पर इस तरह कोर्स शुरू किए हैं।