कानपुर (ब्यूरो)। शौक बड़ी चीज है। और शौक रखने वाला जेब नहीं देखता। किसी को खाने का शौक है तो किसी को घूमने का। लेकिन आज हम बात करेंगे नंबर के शौकीनों का। जी हां, गाड़ी में वीआईपी नंबर लेने वाले शौकीनों का। जो सिर्फ एक नंबर पाने के लिए लाखों रुपए खर्च कर देते हैं। हमारे शहर में भी इस तरह वीआईपी नंबर खरीदने वालों की कमी नहीं है। अगर बीते साल की बात करें तो कानपुराइट्स ने साढ़े चार करोड़ रुपए से अधिक वीआईपी नंबर को पाने में खर्च कर दिए। सबसे मंहगा वीआईपी नंबर 0001 दो लाख पांच हजार रुपए में बिका। इसके बाद दूसरा वीआईपी नंबर 7878 भी लगभग दो लाख रुपए में ऑनलाइन बिड में बिका।

बेस प्राइज से दो गुने में
आरटीओ ऑफिस के आंकड़ों के मुताबिक, बीते फाइनेंशियल ईयर यानि 2023 मार्च से मार्च 2024 तक एक साल में जहां टोटल 6 हजार से अधिक लोगों ने टू व फोर व्हीलर के लिए वीआईपी नंबर खरीदे हैं। वहीं 66 लोगों ने एक लाख में बिकने वाले स्पेशल नंबर्स को ऑनलाइन बिड के जरिए खरीदा है। जिनमें से कुछ वीआईपी नंबर के लिए तो बेस प्राइज से दो गुने से ज्यादा की बोली लगी। यही वजह है कि बिड में 0001 से लेकर 0007 तक वीआईपी नंबर दो-दो लाख में खरीदे गए हैं। इसके अलावा नार्मल वीआईपी नंबर की खरीददारी भी बड़ी संख्या में कानपुराइट्स ने की है।

इन नंबरों की लगी बोली
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि परिवहन विभाग हर साल लगभग चार से पांच करोड़ रुपए की कमाई सिर्फ वीआईपी नंबर बेच कर ही कर लेता है। बीते वर्ष की बात करें तो 4.55 करोड़ रुपए के वीआईपी नंबर सेल हुए है। जिनमें से टॉप फाइव नंबर में 0001, 7878, 0007, 0009, 1111 है। जोकि डेढ़ लाख से दो लाख रुपए में बिक्री हुए है। आपको बता दे कि वीआईपी खरीदने के लिए ऑनलाइन बिड से होती है। बिड की शुरुआत एक लाख से होती है। क्योंकि वीआईपी नंबर के लिए बिड में कई लोग यह नंबर खरीदने के इच्छुक होते है। लिहाजा यह नंबर एक लाख की बजाए दोगुने दाम में बिक्री हो जाते हैं।

वीआईपी नंबर खरीदने के कारण
- सिम्बल ऑफ स्टेटस एंड पॉवर
- न्यूमरोलॉजी (अंक ज्योतिष )
- अंध विश्वास भी है वजह
- सभी व्हीकल के एक नंबर रखने की चाहत
- किसी खास को गिफ्ट करने के लिए