कानपुर (ब्यूरो)। अगर आप भी एडेड कॉलेज में टीचर या फिर कर्मचारी हैं तो विजिलेंस जांच के लिए तैयार रहिए। विजिलेंस टीम 40 साल के दौरान हुई टीचर औ कर्मचारियों की भर्ती की जांच करेगी। इसके लिए 1981 से साल 2020 तक एडेड स्कूलों में हुई रिक्रूटमेंट का पूरा रिकार्ड विजिलेंस को देना होगा। इसके लिए एजुकेशन डायरेक्टर (माध्यमिक) ने प्रदेश के सभी जेईडी और डीआईओएस को लेटर भेजा है। लेटर में लिखा है कि माध्यमिक शिक्षा विभाग मेें हुई 40 हजार से अधिक टीचर और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के रिक्रूटमेंट में अनियमितता के चलते मामले की विजिलेंस की ओर से जांच की जा रही हैैं।

एक कॉपी डायरेक्ट्रेट को
डायरेक्टर की ओर से 28 अगस्त को जारी लेटर में यह भी लिखा है कि जांच के क्रम में डायरेक्ट्रेट के अनेकों निर्देशों के बाद भी रिकॉर्ड उपलब्ध कराने को लेकर रिपोर्ट उपलब्ध नहीं कराई गई है। मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए ही जिले के डीआईओएस एसपी विजिलेंस लखनऊ सेक्टर के समक्ष व्यक्तिगत रूप से प्रस्तुत होकर रिकॉर्ड उपलब्ध कराने होंगे। इसके अलावा रिकॉर्ड की एक कॉपी प्रयागराज स्थित डायरेक्ट्रेट को भी उपलब्ध करानी होगी। इसके अलावा सूचना की एक कॉपी मेल पर भी अपलोड करनी होगी।

शिक्षक संघ का विरोध, एसीएस से मिले
वहीं रिक्रूटमेंट के रिकॉर्ड मांगे जाने के मामले पर शिक्षक संघों ने इसका विरोध शुरू कर दिया है। वह आदेश को वापस मांगने की बात कह रहे हैैं। मामले पर उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ (पांडेय गुट) के प्रदेश संयोजक शैलेंद्र द्विवेदी ने बताया कि मामले पर एडिशनल चीफ सेक्रेटरी (माध्यमिक शिक्षा) दीपक कुमार से मुलाकात कर आदेश को निरस्त करने की मांग की गई है। एसीएस ने मामले पर आश्चर्य जताते हुए एजुकेशन डायरेक्टर से लेटर को मांगा है। शैलेंद्र द्विवेदी ने बताया कि 39 सालों के रिकार्ड मांगना अनुचित है। रिक्रूट हुए कई टीचर और कर्मचारियों की मौत भी हो चुकी है।

अफसरों को भेजा जाएगा ब्योरा
डीआईओएस अरुण कुमार ने बताया कि मामले एजुकेशन डायरेक्टर की ओर से जारी लेटर के आधार पर प्रिंसिपल को लेटर भेजे जा रहे हैैं। जल्द ही रिकार्ड को कलेक्ट करके भिजवाया जाएगा। वहीं, मामले को लेकर डीआईओएस ऑफिस और कालेजों में तरह तरह की चर्चाओं का माहौल गर्म है। शिक्षक नेताओं का कहना है कि इतने पुराने रिकाड्र्स को कलेक्ट करना आसान काम नहीं है।

कानपुर में हो चुका शिक्षक भर्ती घोटाला
अप्रैल महीने में कानपुर में फर्जी शिक्षक भर्ती का मामला सामने आ चुका है, जिसमें एक फेक ईमेल से जारी पैनल के आधार पर फेक कैंडीडेट्स को नियुुक्ति पत्र जारी हो गए थे। इनमें दो टीजीटी और एक पीजीटी टीचर ने सिटी के दो कालेजों में ज्वाइन कर लिया था। टीजीटी ने तो कई महीने की सैलरी भी उठा ली थी। मामला खुलने के बाद कर्नलगंज थाने में एफआईआर कराई गई। पुलिस की जांच में कई लोगों को अरेस्ट करके जेल भी भेजा गया है। इसके अलावा मृतक आश्रित कोटे से हुई एक नियुक्ति को भी कैंसिल किया गया है। ऐसे में विजिलेंस की जांच में कानपुर में भी कई मामलों के खुलने की संभावना है।