कानपुर (ब्यूरो)। रोडवेज की एसी बसों के ड्राइवर पैसेंजर्स के साथ धोखा कर रहे हैं। पैसेंजर्स गर्मी में आरामदायक सफर करने के लिए ज्यादा पैसे खर्च कर एसी जनरथ बसों का टिकट खरीदते हैं, उसके बाद भी उन्हेंं पसीना बहाते हुए सफर तय करना पड़ता है। ऐसा इसलिए नहीं की बस का एसी खराब है। बल्कि ड्राइवर डीजल की बचत करने के चक्कर में बीच सफर एसी बंद कर पंखा चला देते हैं। फ्राइडे को आईनेक्स्ट रीडर्स की शिकायत पर दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम ने झकरकटी बस अड्डे पर रियलिटी चेक किया। जनरथ एसी बसों के पैसेंजर्स से बात कर हकीकत को जाना। जो सच सामने आया वो चौकाने वाला है। अधिकतर जनरथ बसों में यह खेल चल रहा है।
लंबी दूरी के सफर में अधिक खेल
रियलिटी चेक करने के दौरान पता चला कि जर्नी के बीच में बसों का एसी बंद करने का खेल दिल्ली, गोरखपुर, आगरा समेत लंबी दूरी के सफर में अधिक किया जा रहा है। क्योंकि एसी ऑन होने पर बस का माइलेज कम हो जाता है। लिहाजा बस के ड्राइवर डीजल की बचत करने के लिए बीच सफर में एसी बंद कर पंखा ऑन कर देते हैं। पैसेंजर को गर्मी लगने पर जब कंडेक्टर से शिकायत करते हंै तो वह एसी में टेक्निकल खराबी आने की बात कह टरका देते हैं।
100 रुपए तक का अंतर
रोडवेज की जनरल व एसी बस के फेयर में दूरी के मुताबिक 50 से 100 रुपए का अंतर है। उदाहरण के दौरान पर एसी जनरथ बस का कानपुर से गोरखपुर के एसी व नॉन एसी फेयर में पूरा 100 रुपए का अंतर है। वहीं कानपुर से दिल्ली के फेयर में 126 रुपए का अंतर है। गौरतलब है कि बीते ठंड के मौसम में जनरथ एसी बसों की एसी बंद कर दी गई थी। क्योंकि एसी बंद होने से बस का माइलेज बढ़ जाता है। डीजल की खपत कम होती है। पैसेंजर्स को राहत देने के लिए डिपार्टमेंट ने ठंड के मौसम में बस का फेयर भी कम कर दिया था। उसी आंकड़ों के आधार पर एसी चलने व न चलने पर फेयर में 50 से 100 रुपए का डिफरेंस होता है।
एसी चलने व न चलने पर किराया
रूट नॉन एसी एसी
गोरखपुर 481 581
प्रयागराज 249 302
वाराणसी 399 483
आगरा 378 454
लखनऊ 116 140
झांसी 312 372
दिल्ली 543 653