कानपुर (ब्यूरो)। कानपुराइट्स के ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम को ईजी और पॉल्यूशन फ्री बनाने के लिए शहर में मेट्रो के दो कॉरिडोर तैयार किए जा रहे हैं। पहला आईआईटी से नौबस्ता तक और दूसरा सीएसए से बर्रा-8. लेकिन आईआईटी से मोतीझील(प्रॉयरिटी सेक्शन) तक रिकॉर्ड 25 महीने में दौडऩे वाली कानपुर मेट्रो अंडरग्र्राउंड सेक्शन में छह महीने से ज्यादा लेट हो चुकी है। कम्प्लीशन टारगेट कई महीने पहले पार हो चुका है, लेकिन काम कम्प्लीट नहीं हो सका। पूरे कॉरिडोर पर मेट्रो शुरू होने से कानपुराइट्स का सफर निश्चित तौर पर सुहाना होगा लेकिन अभी आधे-अधूरे कार्य के चलते ट्रैफिक डायवर्जन सहित कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
25 महीने में दौड़ी कानपुर मेट्रो
आईआईटी से मोतीझील तक मेट्रो के सिविल वक्र्स का शिलान्यास नवंबर 2019 में चीफ मिनिस्टर योगी आदित्यनाथ ने किया था। इस ट्रैक की लंबाई 8.5 किलोमीटर से अधिक है, साथ ही मेट्रो स्टेशंस की संख्या 9 है। दिसंबर 2021 में प्राइम मिनिस्टर नरेन्द्र मोदी ने इसका लोकार्पण भी कर दिया। चीफ मिनिस्टर योगी आदित्यनाथ के साथ मेट्रो में सफर किया। दिसंबर में इसको शुरू हुए तीन साल हो जाएंगे।
36 महीने में कम्प्लीट होना था
आईआईटी से मोतीझील तक मेट्रो दौडऩे से पहले ही जुलाई 2020 में मोतीझील के बाद रैम्प व नयागंज अंडरग्र्राउंड ट्रैक व स्टेशन आदि वर्क के लिए टेंडर प्रॉसेज कर दिया गया था। इसमें चार अंडरग्र्राउंड मेट्रो स्टेशन चुन्नीगंज, नवीन मार्केट, बड़ा चौराहा और नयागंज शामिल थे। इसमें आर्किटेक्चुअल फिनिशेस, इलेक्ट्रिक एंड मैकेनिकल, टनल वेंटीलेशन व एनवॉयरमेंट कन्ट्रोल सिस्टम आदि वर्क शामिल थे।
10 जुलाई से 10 अगस्त तक टेंडर सेल और 18 सितंबर, 2020 तक बिड सबमिशन की लास्ट डेट रखी गई थी। इसमें इन कार्यो की कम्प्लीशन टाइम लिमिट 36 महीने की दी गई थी। 9 मार्च 2021 को यूपी मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन ने एक ज्वाइंट वेंचर कम्पनी को टेंडर अवार्ड होने का चीफ इंजीनियर/कांट्रैक्ट की ओर से नोटिस भी जारी कर दिया। यानि मार्च 2024 तक ये सभी वर्क कम्प्लीट कर लिए जाने थे। लेकिन आधा अक्टूबर बीतने के बाद भी अभी काम जारी है।
अब तक चल रहा है काम, लोग परेशान
इस अंडरग्र्राउंड सेक्शन का ट्रैक व स्टेशन बनाने के लिए चुन्नीगंज, लालइमली के पास, परेड, बड़ा चौराहा, फूलबाग से नरौना चौराहा पर बेरीकेडिंग कर रोड कटिंग कर दी गई। इन रोड्स से गुजरने वाले लाखों कानपुराइट्स को ट्रैफिक डायजवर्जन के कारण चक्करघिन्नी बन गए। ट्रैफिक जाम व धूल-गर्द का अलग से सामना करते रहे। लेकिन 36 महीने की बजाए अब 42 माह से अधिक हो चुके हैं, लेकिन काम कम्प्लीट न होने के कारण लोगों को परेशानियों से छुटकारा नहीं मिल सका है।