कानपुर (ब्यूरो)। अनियंत्रित डायबिटीज शरीर के लगभग सभी अंगों को नुकसान पहुंचा रहा है। आरामदायक जीवनशैली की वजह से बढ़ रहा यह रोग बड़ी संख्या में लोगों को अपनी गिरफ्त में ले चुका है। ओपीडी में पहुंचने वाला हर छठा और भर्ती होने वाले पेशेंट्स में हर चौथा व्यक्ति डायबिटीज से पीडि़त है। हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक से लेकर आंख, लिवर, किडनी में समस्या व गठिया तक को जन्म देने वाली इस बीमारी से बचने के लिए शरीर को एक्टिव रखना बहुत जरूरी है। यह कहना है जनपदीय गैर संचारी रोगों के नोडल अधिकारी व डिप्टी सीएमओ डॉ। एसपी यादव का।

डॉ। यादव का कहना है की नियमित योग-व्यायाम करने व सुबह टहलने से इस रोग से बचा जा सकता है। तेल, घी, चिकनाई, फास्ट फूड व नशे की लत डायबिटीज को बढ़ाने का काम करती है। यदि आलस्य व आराम से यारी बढ़ाएंगे तो मधुमेह की बीमारी हो सकती है। हर साल 14 नवंबर को लोगों को जागरूक करने के लिए वल्र्ड डायबिटीज डे मनाया जाता है। इस वर्ष 2024 के लिए थीम है &बाधाओं को तोडऩा, अंतरालों को पाटना&य।

उन्होंने बताया कि डायबिटीज की प्रॉब्लम को हल्के में न लें। जिले की समस्त स्वास्थ्य इकाईयों जैसे पीएचसी, सीएचसी व आयुष्मान आरोग्य मंदिरों पर 30 वर्ष से अधिक आयु के लोगों की मधुमेह की जांच की जाती है। इसके अलावा गर्भावस्था में मां एवं गर्भस्थ शिशु के लिये मधुमेह को लेकर जागरूक करने के साथ ही जांच भी की जाती है। इस वर्ष अप्रैल 2024 से अभी तक सभी स्वास्थ्य केंद्रों में 4,81,237 लोगों की मधुमेह की जांच की गयी है।

दो तरह की होती डायबिटीज

कैटेगरी वन- मधुमेह अक्सर हमारे बचपन या किशोरावस्था में होता है, जिसमें हमारे शरीर में इंसुलिन के उत्पादन में अचानक कमी होती है.साथ ही, शरीर में ग्लूकोज की मात्रा अधिक होने के कारण, इसे नियंत्रित करने के लिए इंसुलिन का इंजेक्शन लगाना आवश्यक हो जाता है।

कैटेगरी टू: 30 साल की उम्र के बाद घर घर मधुमेह के रोगी होने लगते हैं। टाइप 2 मधुमेह वाले अधिकांश लोग अपने सामान्य वजन से अधिक हो जाते हैं। उनका पेट बाहर निकलने लगता है। कभी-कभी यह आनुवांशिक होता है, कई मामलों में यह खराब जीवन शैली से संबंधित होता है।