- साजिश के तहत हुआ था हिंसक प्रदर्शन, बंगाल, केरल आदि से बुलाए गए थे ट्रेंड पत्थरबाज

- एक सप्ताह पहले आ गए थे शहर, साजिश रचने और शरण देने वाले अब किए जा रहे हैं आइडेंटिफाई

- लोकल रेजीडेंट्स के बीच रहकर बाहरी उपद्रवियों ने एक सप्ताह तक उकसाने का काम भी किया

>KANPUR:

यतीमखाना और बगाही में साजिश के तहत हिंसक प्रदर्शन किया गया था। जिसकी शुरुआत ट्रेंड पत्थरबाजों ने पुलिस पर पथराव से की थी। इन पत्थरबाजों को माहौल बिगाड़ने के लिए ही दूसरे राज्यों से बुलाया गया था, जो बवाल के बाद शहर से निकल गए। यह खुलासा पुलिस की शुरुआती जांच में हुआ है। अब पुलिस यह पता लगा रही है कि हिंसक प्रदर्शन की साजिश किसने की थी और उनके साथ कौन कौन शामिल है? दूसरे राज्यों से आए पत्थरबाजों को किसने बुलाया था और उनको किसने शरण दी थी? खुफिया को कई ऐसी जानकारियां मिली हैं। जिनके आधार पर कार्रवाई की जा रही है।

पॉलिटिकल पार्टी के नाम भी

एलआईयू के एक ऑफिसर ने नाम न पब्लिश करने की रिक्वेस्ट पर बताया कि यतीमखाना और बगाही में हुए बवाल में कुछ पॉलिटिकल पार्टी और संगठन के लोग भी शामिल थे। इसमें कुछ बवाली रसूखदार परिवार से ताल्लुक रखते हैं। ये लोग पथराव के दौरान मौजूद नहीं थे, लेकिन इन लोगों ने भीड़ को उकसाने और फंडिंग का काम किया है। पुलिस की जांच में इसका खुलासा हो गया है, लेकिन पुलिस अभी इनके नाम सार्वजनिक करने से बच रही है। पुलिस और पुख्ता सबूत जुटाने के बाद इन लोगों के नाम का खुलासा करेगी, ताकि इन लोगों को बचने का मौका न मिल सके।

एक सप्ताह पहले आ गए थे वो

आईबी की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि शहर का माहौल बिगाड़ने के लिए ट्रेंड पत्थरबाज एक सप्ताह पहले ही आ गए थे। यहां आने के बाद इन लोगों को मुस्लिम इलाकों की गलियों और रास्ते के बारे में जानकारी दी गई, ताकि ये लोग पत्थरबाजी करने के बाद आसानी से निकल जाए। इन लोगों को मुस्लिम इलाकों में ही ठहराया गया था, ताकि वहां के रास्तों की जानकारी करने के साथ ही लोगों को भड़का भी सकें। ये लोग ही बवाल के दिन सबसे आगे थे। इन्हीं लोगों ने पथराव कर लोगों को पत्थरबाजी के लिए उकसाया था। इसके बाद ये लोग गलियों के रास्ते से निकलकर बाहर चले गए। इसकी पुष्टि इलाकाई लोगों ने भी की है।

बंगाल, केरल, असम जिलों के संदिग्धों पर शक

पुलिस ने बगाही, यतीमखाना, चमनगंज, बेकनगंज समेत अन्य इलाकों के मददगारों के साथ ही इलाकाई लोगों को फोटो दिखाकर जानकारी की तो ज्यादातर लोगों की पहचान हो गई, लेकिन 20 से 25 संदिग्धों की पहचान नहीं हो पाई है। पुलिस को यकीन है कि ये संदिग्ध बवाली ही दूसरे राज्यों से आए थे। पुलिस को शक है कि ये बवाली बंगाल, असम, केरल समेत अन्य राज्यों के हो सकते हैं। इसलिए पुलिस ने आइडेंटिफाई करने के लिए इनकी फोटो इन राज्यों की पुलिस के साथ शेयर की है।

चेहरा ढके थे ज्यादातर बाहरी बवाली

जांच में जुटी पुलिस ने सबसे पहले शहर के पिछले हिंसक प्रदर्शन और बवाल के बारे में जानकारी की। तो पुलिस को पता चला कि शहर में अभी तक जितने भी प्रदर्शन हुए हैं, उनमें न तो बवालियों ने चेहरा ढका था और न ही पत्थरबाजी की थी। दूसरे राज्य जैसे कश्मीर, बंगाल आदि में चेहरा ढककर पत्थरबाजी की जाती है। इसकी शुरुआत कश्मीर से ही हुई है। इससे पुलिस को शक है कि यतीमखाना और बगाही के हिंसक प्रदर्शन में चेहरा ढककर पत्थरबाजी कर रहे संदिग्ध दूसरे राज्य से आए हैं।

सर्विलांस और सीडीआर की भी मदद ली जा रही

पुलिस ट्रेंड पत्थरबाजों को शरण देने वाले और साजिश रचने वालों की पहचान के लिए सर्विलांस और सीडीआर की भी मदद ले रही है। पुलिस बीते 15 दिन का रिकार्ड खंगाल रही है कि किन लोगों की बंगाल, केरल, कश्मीर, असम राज्य के लोगों से बात हुई है। इसके अलावा पुलिस शक के आधार पर कुछ सामाजिक संगठन, पॉलिटिकल पार्टी के नेताओं की भी सीडीआर खंगाल रही है। पुलिस अफसरों को उम्मीद है कि इससे उनको अहम सुराग मिल सकते हैं।

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आईजी और एडीजी के सुपर विजन में एसआईटी करेगी जांच

शहर में हिंसक प्रदर्शन के लिए शासन के आदेश पर एसपी क्राइम राजेश यादव की अगुवाई में एसआईटी गठित कर दी गई है। इसके अलावा एसआईटी में सीओ अनवरगंज सैफुद्दीन, बर्रा इंस्पेक्टर सतीश कुमार सिंह, काकादेव इंस्पेक्टर राजीव सिंह और एक सब इंस्पेक्टर को शामिल किया गया है। अब यह एसआईटी टीम एडीजी प्रेम प्रकाश और आईजी मोहित अग्रवाल के सुपर विजन में जांच करेगी। एसआईटी यह भी पता लगाएगी कि खुफिया एजेंसी और एलआईयू का क्या रोल रहा। इन एजेंसियों की चूक की वजह से तो बवाल नहीं बढ़ा।

'हिंसक प्रदर्शन को लेकर कई तरह के सुराग मिले हैं। अब तक कई अरेस्टिंग की जा चुकी हैं। कई अहम सुराग भी हाथ लगे हैं। बहुत जल्द पुलिस एक्शन में दिखेगी.'

- अनंत देव, एसएसपी, कानपुर नगर