कानपुर (ब्यूरो)। रोड एक्सीडेंट में होने वाली मौतों मे कानपुर प्रदेश में नंबर वन पर है। ओवरस्पीडिंग, ड्रंक एंड ड्राइव के कारण ही सबसे ज्यादा हादसे होते हैं। हादसों को रोकने के लिए शासन के आदेश पर ट्रैफिक पुलिस ने कवायद शुरू की। जागरूकता अभियान चलाया। वहीं ट्रैफिक मुख्यालय की तरफ से कानपुर कमिश्नरेट को कई हाइटेक इक्विपमेंट दिए गए। एक हफ्ते पहले की ओवरस्पीडिंग नापने के लिए शहर को दो इंटरसेप्टर मिले थे। जिससे दूर से ही वाहनों की स्पीड नापकर चालान किया जा सके। लेकिन तीन दिन तक ही ये इंटरसेप्टर रोड पर रहे। टेक्निकल ऑपरेटर न होने की वजह से इन्हें स्टोर में रख दिया गया। बता दें पहले ही करोड़ों के इक्विपमेंट रखे रखे कबाड़ हो चुके हैं।

कैसे होंगे ओवरस्पीडिंग के चालान
इंटरसेप्टर मिलने पर ट्रैफिक पुलिस का प्लान था कि एक को दिल्ली हाईवे और दूसरे को प्रयागराज हाईवे पर खड़ा कर वाहनों की रफ्तार पर लगाम लगाई जाएगी, जिससे हादसों की संख्या कम हो सके। लेकिन, ऑपरेटर न होने के कारण फिलहाल इस प्लान पर पानी फिर गया है। इस संबंध में बात करने पर डीसपी ट्रैफिक ने बताया कि कुछ ट्रैफिक कर्मचारियों को ट्रेनिंग के लिए मुख्यालय भेजा गया है। ट्रेनिंग के बाद ट्रैफिक पुलिसकर्मियों के आने पर उनकी ड्यूटी इंटरसेप्टर में लगाई जाएगी।

ऑटोमैटिक स्पीड राडार भी नहीं
बीते सर्दी के मौसम में कानपुर से निकलने वाले 35 किलोमीटर के हाईवे पर पांच ऑटोमैटिक स्पीड राडार लगाने का प्लान था। शासन को प्रस्ताव भेजने के बाद मंजूर भी कर लिया गया। स्थान भी चिन्हित कर लिया गया, लेकिन वक्त बीतने के साथ ही प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पाई। कभी टेक्निकल टीम के न आना तो कभी कोई वजह बताई गई। लेकिन इन छह महीनों में कोई काम नहीं हो पाया। अगर ये प्रक्रिया समय से पूरी हो जाती तो शायद कई लोगों की जान बच जाती।

हाईवे पर होते हैैं सबसे ज्यादा हादसे

कानपुर कमिश्नरेट इलाके में अगर हादसों की बात की जाए तो चकेरी, महाराजपुर, सचेंडी, बिधनू नौबस्ता, बिल्हौर, शिवराजपुर, घाटमपुर, सेन पश्चिम पारा में हादसे ज्यादा होते हैैं। अगर इन हादसों के इलाकों पर गौर करें तो ये सभी हाईवे के घटनास्थल हैैं। ट्रैफिक सुधार और हादसे रोकने के लिए जब बैठक की गई तो उसमें चार बिंदु सामने आए। इनमें बदलाव की प्लानिंग की गई तो हाईवे पर सुरक्षा के उपाय करने के लिए कहा गया। कानपुर कमिश्नरेट में तैनात डीसीपी ट्रैफिक की माने तो कमेटी में बहुत से विभाग शामिल होते हैैं। जिनकी अलग-अलग जिम्मेदारियां होती हैैं। दूसरे विभाग अपनी जिम्मेदारियां पूरी नहीं कर पा रही हैैं।

हादसों की मुख्य वजह
-तेज रफ्तार से वाहन का चलाना
-शराब पीकर वाहन चलाना
-हाईवे किनारे खड़े वाहनों में टक्कर
- खराब रोड इंजीनियरिंग
-रांग साइड ड्राइविंग
-अंडर एज ड्राइविंग
-वाहनों में ओवरलोडिंग