कानपुर (ब्यूरो)। अगर आपमें कुछ पॉजिटिव सोच के साथ कुछ करने की इच्छा है तो सारी परेशानी हल होती चली जाती हैैं। ऐसी ही कहानी है बरुनेश भट्टïाचार्या की। 59 साल के बरुनेश थैलीसीमिया पीडि़त बच्चों के लिए ब्लड अरेंज करते हैैं। उन्होंने बताया कि उनकी बेटी खुद थैलीसीमिया की पेशेंट है। वे लोग सक्षम थे तो सारा इंतजाम कर लेते थे लेकिन जो लोग सक्षम नहीं थे, वे परेशान होते थे। कोविड के दौरान जब बच्चों का दर्द न देखा गया तो ब्लड कैंप लगाकर थैलीसीमिया के बच्चों के लिए ब्लड कलेक्ट करना शुरू किया। अब ïवे 210 बच्चों के लिए ब्लड की व्यवस्था करने का काम कर रहे हैैं।

असीम अरुण ने की थी शुरुआत
बरुनेश ने बताया कि कानपुर कमिश्नरेट बनने के बाद सबसे पहले पुलिस कमिश्नर असीम अरुण उनके अच्छे दोस्तों में थे। उनसे चर्चा की तो उन्होंने कानपुर कमिश्नरेट को इसमें शामिल कर दिया। इसके बाद हर थाने में एक कैंप लगाया जाने लगा और जिनको जरूरत होती थी उन्हें ब्लड उपलब्ध करा दिया जाता था। उनके वीआरएस लेने के बाद पुलिस कमिश्नर विजय सिंह मीना, आरके स्वर्णकार, बीपी जोगदण्ड और वर्तमान पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार ने भी इस प्लान को हाथों हाथ लिया और लगातार कैंप लगने लगे, जिससे थौलीसीमिया से ग्रसित बच्चों को ब्लड मिलने लगा और उनका पीजीआई जाने की दौड़ बचने लगी।

57 बार ब्लड डोनेट कर बचा चुके 38 जिंदगियां
संकल्प सेवा समिति के फाउंडर संतोष सिंह चौहान की जिंदगी में एक दशक पहले ऐसा पल आया जब फैमिली मेंबर की जान बचाने को ब्लड के लिए जद्दोजहद करनी पड़ी। बस उसी पल ने उनके जीवन का उद्देश्य बदल दिया। उनके संकल्प ने करीब पांच हजार लोगों की टीम खड़ी कर दी जो हर पन्द्रह दिन में ब्लड डोनेट कर लोगों की जान बचा रहे हैं। संतोष बताते है कि अब तक 57 बार ब्लड डोनेट कर चुके हैं। खुद कोविड से पीडि़त संतोष ने स्वस्थ्य होने के बाद तीन बार प्लाजमा डोनेट किया। जिससे करीब 38 लोगों की जिंदगी को बचाया जा सका।

2015 में की थी शुरुआत
संतोष सिंह का कहना है कि ब्लड डोनेट की कानूनी उम्र 18 से वर्ष है। एक व्यक्ति अपनी लाइफ में 168 बार और तीन महीने में एक बार ही ब्लड डोनेट कर सकता है। संतोष बताते है कि उन्होंने इसकी शुरूआत 2015 में की थी जिसके बाद कारवां बनता गया और फिर संकल्प सेवा समिति के जरिए करीब पांच हजार लोगों को ब्लड डोनेट करने के लिए जोड़ा। आज उनके पास सबके मोबाइल नंबर से लेकर ब्लड ग्रुप का डेटा बैैंक भी है। ताकि जब जिसे जरूरत हो उसकी मदद की जा सके।

दस हजार यूनिट कर चुके डोनेट
संकल्प सेवा समिति के माध्यम से संतोष व उनके टीम मेंबर्स अब तक दस हजार यूनिट ब्लड डोनेट कर हजारों लोगों की जिंदगी बचा चुके हैं। संतोष का कहना है कि अपनी लाइफ में वह ब्लड डोनेट का शतक लगाना चाहते हंै। कोविड कॉल मच्ं 172 बच्चों को ब्लड की जरूरत थी तब उनके टीम मेंबर्स ने नच्सिर्फ बच्चों की जान बचाई बल्कि कई महिलाओं के लिए भी मददगार साबित हुए जिन्हें ब्लड की कमी थी।