- बरामद व्हीकल्स की डिटेल पोर्टल पर अपलोड करने में पुलिस करती है लापरवाही

- गिरोह से व्हीकल बरामद कर पुलिस थपथपा लेती है अपनी पीठ

द्मड्डठ्ठश्चह्वह्म : सिटी में आए दिन पुलिस व्हीकल चोरी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश कर चोरी के कई व्हीकल्स भी बरामद कर रही है, लेकिन पुलिस की लापरवाह कार्यशैली से ये व्हीकल्स थाने में खड़े कबाड़ हो रहे हैं। अगर पुलिस जिम्मेदारी से काम करे तो बरामद व्हीकल्स आसानी से ओनर तक पहुंचाए जा सकते हैं। इसके लिए पुलिस का वाहन समन्वय पोर्टल भी है, लेकिन इस पोर्टल का यूज सिर्फ खानापूरी के लिए ही हो रहा है।

वाहन समन्वय का यूज नहीं

वाहन समन्वय पोर्टल पर देश भर की पुलिस को लावारिस, चोरी या बरामद वाहनों की सारी डिटेल अपलोड करने की जिम्मेदारी दी गई है। अगर डिटेल नियमित डाली जाए तो किसी किसी अन्य थाने से चोरी हुए व्हीकल से मैच कर जाएगी। इससे उस व्हीकल का ओनर आसानी से मिल जाएगा, लेकिन पोर्टल पर यह समन्वय बना पाने में सिटी की पुलिस फिसड्डी है।

बरामद व्हीकल्स हो गए कबाड़

सिटी के 44 थानों में अक्सर पुलिस व्हीकल चोर गिरोह पकड़ती है। इन गिरोह के पास से कई व्हीकल भी बरामद किए जाते हैं। पकड़े गए गिरोह को मीडिया के सामने लाकर पुलिस अपनी पीठ थपथपा लेती है। बाद में इन व्हीकल्स को पोर्टल पर अपलोड करने के बजाए कबाड़ में तब्दील होने के लिए थानों में ही छोड़ दिया जाता है। अगर इन व्हीकल्स की डिटेल अपलोड कर दी जाए तो 50 परसेंट से ज्यादा व्हीकल्स के ओनर्स जल्द मिल जाएंगे।

व्हीकल्स की नहीं फिक्र

शहर के झकरकटी बस अड्डे और रेलवे स्टेशन के व्हीकल स्टैंड पर भी दर्जनों व्हीकल्स खड़े खड़े कबाड़ हो गए। सूत्रों की मानें तो इनमें से कई तो चोरी के भी हो सकते हैं, लेकिन पुलिस इस पर ध्यान नहीं देती। अगर इन वाहनों की डिटेल पोर्टल पर अपलोड कर दी जाए तो शायद अब तक आधे से ज्यादा व्हीकल्स के ओनर मिल चुके होते।

'' बरामद व्हीकल्स की डिटेल पोर्टल पर अपलोड़ करने के निर्देश पहले ही दिए जा चुके हैं। इस कार्य में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सभी थानों से रिपोर्ट तलब की जाएगी।

- राजेश यादव, एसपी क्राइम

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- 20 से ज्यादा वाहन पुलिस हर महीने करती है बरामद

- 55 से ज्यादा वाहन हर महीने चोरी हो जाते हैं सिटी से

- 50 परसेंट तक बरामद वाहन खड़े खड़े हो जाते हैं कबाड़ ------------------------