कानपुर (ब्यूरो)। छत्तीसगढ़ में संडे को हुए नक्सली हमले में महाराजपुर के नौगवां गौतम निवासी सीआरपीएफ जवान शैलेंद्र शहीद हो गए। सुकमा और बीजापुर बॉर्डर पर नक्सलियों ने राशन लेकर जा रहे सीआरपीएफ जवानों के ट्रक को आईईडी ब्लास्ट कर उड़ा दिया। ब्लास्ट में सीआरपीएफ की कोबरा बटालियन के 2 जवान शहीद हो गए। इस ट्रक में जवान शैलेंद्र सह चालक के तौर पर मौजूद थे। शैलेंद्र के शहीद होने की खबर जैसे ही उनके घर कानपुर पहुंची, वहां चीख-पुकार मच गई। पत्नी और मां बेसुध हो गईं। बहन को भी संभालना मुश्किल हो रहा था। किसी तरह उन्हें घर की महिलाओं ने संभाला।
2017 में सिपाही पद पर भर्ती हुए थे
महाराजपुर थाना क्षेत्र के नौगवां गौतम गांव के शैलेंद्र कुमार 2017 में सीआरपीएफ में सिपाही के पद पर भर्ती हुए थे। शैलेंद्र की शादी 7 मार्च को सचेंडी थाना क्षेत्र के पेट्टापुर गांव की कोमल से हुई थी। शैलेंद्र के पिता मुन्नालाल ट्रक ड्राइवर थे, उनकी पहले ही मौत हो चुकी है। घर में मां बिजला देवी और बड़े भाई नीरज अपनी पत्नी काजल के साथ रहते हैं। शैलेंद्र तीन भाइयों में सबसे छोटे थे। शैलेंद्र से बड़े सुशील की भी 4 साल पहले सांप के काटने से मौत हो गई थी। बहन की शादी हो चुकी है।
10-15 दिन में आने का किया था वादा
शैलेंद्र शादी के समय ही घर आए थे। गुरुवार को अपनी मां से वादा किया था कि 10 से 15 दिन में घर आ रहे हैं। सीआरपीएफ अधिकारियों ने जैसे ही फोन से शैलैंद्र के शहीद होने की सूचना दी तो घर पर चीख-पुकार मच गई। मां ने कहा, अगर पता होता कि मेरा लाल मुझसे हमेशा के लिए दूर चला जाएगा तो उसकी नौकरी छुड़वा देती। बचपन में ही पिता का साया उठने के बाद तमाम मुसीबतों का सामना करते हुए बच्चों को पाला। एक पहले ही छोडक़र जा चुका था, अब दूसरा भी चला गया। जीवन किसके सहारे कटेगा।
पत्नी से फोन पर की थी बात
भाई नीरज ने बताय कि संडे को शैलेंद्र ने पत्नी कोमल से फोन पर बात की थी। उसने 7 जुलाई को घर वापस आने की बात कही थी। कोमल कानपुर में रहकर पढ़ाई कर रही थी। वहीं, लोगों ने बताया, शैलेंद्र बहुत खुशमिजाज व्यक्ति थे। जब भी गांव आते थे, सबके घर जाते थे। सबसे मिलते थे, बड़ों का आशीर्वाद लेते थे। हंसी-मजाक करते थे। हमें तो विश्वास ही नहीं हो रहा कि शैलेंद्र हमें छोडक़र चला गया।