-एनएसआई ने काजू फ्रूट से एथेनॉल बनाने की टेक्निक डेवलप की, इंस्टीट्यूट में तीन महीने तक चला ट्रायल रहा सफल
-देश में होने वाले काजू प्रोडक्शन से 5 करोड़ लीटर एथेनॉल बनेगा, काजू अलग करने के बाद बचे फल का होता है यूज
KANPUR: देश में एथेनॉल की कमी को पूरा करने के लिए एनएसआई(नेशनल सुगर इंस्टीट्यूट) नई टेक्निक डेवलप की है। जिसमें काजू(ड्राई फ्रूट) से एथेनॉल बनाया जाएगा। इसकी क्वॉलिटी शीरे से बनने वाले एल्कोहल से बहुत अच्छी होगी। तीन महीने से एनएसआई में काजू फ्रूट्स से एथेनॉल डेवलप किया जा रहा था। देश में काजू का जितना प्रोडक्शन उत्पादन होता है उससे करीब 5 करोड़ लीटर एथेनॉल या एल्कोहल बनाया जा सकता है।
सभी संभावनाअों पर काम
एनएसआई के डायरेक्टर प्रो। नरेन्द्र मोहन अग्रवाल ने बताया कि मक्का, बाजरा व चावल से भी एथेनॉल बनाने की संभावना पर काम जारी है। फिलहाल काजू फ्रूट्स से एथेनॉल बनाने में कामयाबी मिली है। अभी तक फल से काजू अलग करने के बाद बचे हिस्से का कोई खास यूज नहीं किया जा रहा था। सिर्फ गोवा में काजू फेनी वाइन इस फल से बनाई जा रही थी। देश में करीब 6 लाख टन काजू फ्रूट्स का उत्पादन होता है।
वेस्ट अफ्रीका के साथ करार
वियतनाम व नाइजीरिया के बाद इंडिया दुनिया का तीसरा सबसे ज्यादा काजू उत्पादन करने वाला देश है। मंगलुरू की कंपनी काजू की प्रोसेसिंग करती है। कंपनी के साथ मिलकर काजू फल से एथेनाल व एल्कोहल डेवलप करने को लेकर ट्रायल किया गया। तीन महीने से एनएसआई कैंपस में इसका ट्रायल चल रहा था। अब डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाई जा रही है। काजू प्रोसेसिंग करने वाली कंपनी मंगलुरू इंडिया वेस्ट अफ्रीका के आइबरी कोस्ट में प्लांट लगाएगी। जहां डेली करीब 15 हजार लीटर एथेनॉल व एल्कोहल बनाया जाएगा।
बहुत अच्छी होगी क्वॉलिटी
काजू के फल से बनने वाले एल्कोहल का यूज विदेशी वाइन के बनाने में किया जा सकता है। इसकी क्वॉलिटी बहुत अच्छी होगी। इसके अलावा इसका प्रयोग परफ्यूम के बनाने में किया जा सकता है। देश में एथेनॉल की जरूरत 330 करोड़ लीटर है जबकि प्रोडक्शन अभी सिर्फ 200 करोड़ लीटर का हो रहा है। काजू फल से एथेनॉल बनने से कुछ राहत मिलेगी।
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फैक्ट फाइल
330 करोड़ लीटर एथेनॉल की जरूरत है देश को
200 करोड़ लीटर का ही प्रोडक्शन हो रहा अभी
6 लाख टन काजू का उत्पादन होता है देश में
5 करोड़ लीटर एथेनॉल बन सकता है इतने काजू से