-शासन ने आईटीआई लिमिटेड, लखनऊ को कानपुर में जीआईएस सर्वे करने के लिए नियुक्त किया था

-7 करोड़ में मिला था टेंडर, कई महीनों से नगर निगम के किसी अधिकारी से संपर्क में नहीं कंपनी, सभी फोन बंद

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KANPUR : सिटी में 11 साल बाद शुरू हुए जीआईएस सर्वे का काम चल भी रहा है कि नहीं इसका पता किसी को नहीं है। क्योंकि शासन से नियुक्त की गई आईटीआई लिमिटेड, नगर निगम के किसी भी अधिकारी के संपर्क में नहीं है। इसको लेकर ऑफिसर्स भी अब चिंतित हो उठे हैं कि सर्वे शुरू भी हुआ है या नहीं। 7 करोड़ में कंपनी को सर्वे का काम दिया गया है। नगर निगम के आईटी प्रभारी परवेज खान के मुताबिक लगभग 4 महीने पहले कंपनी को शासन ने ही वर्क ऑर्डर जारी किया था, तब से अब तक कंपनी से कोई कॉन्टैक्ट नहीं है। कंपनी के सभी फोन बंद हैं।

2008 में सर्वे हुआ था

पिछले 11 सालों में सिटी का डेवलपमेंट काफी तेजी से हुआ है। वहीं नगर निगम का क्षेत्र भी काफी बढ़ा है। ऐसे में कई ऐसी प्रॉपर्टी डेवलप हो गई हैं, जो अब भी नगर निगम को हाउस टैक्स नहीं दे रही हैं। जबकि सभी गवर्नमेंट फैसेलिटी का लाभ ले रही हैं। वहीं अवैध कब्जों को भी सर्वे में चिन्हित किया जाना है। लेकिन अब इस सर्वे में ही सवालिया निशान लगने हैं। मौजूदा टाइम में मंधना, चकेरी, पनकी, नौबस्ता और कल्याणपुर, बिठूर की तरफ सिटी तेजी से डेवलप हुई है।

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नक्शा भी बनना था

7 करोड़ में कंपनी को सर्वे पूरा करने के साथ ही सॉफ्टवेयर भी डेवलप करना था। जिसमें सिटी की सभी जीयोग्राफिकल सिचुएशन का पता चल जाएगा। इसके साथ ही कंपनी को नक्शा भी बनाना था। लेकिन अब कंपनी का ही पता न होने से सर्वे के काम में देरी होना तय हो गया है।

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'लगभग 4 महीने पहले कंपनी को शासन ने ही वर्क ऑर्डर जारी किया था, तब से अब तक कंपनी से कोई कॉन्टैक्ट नहीं है। कंपनी के सभी फोन बंद हैं.'

परवेज खान, नगर निगम के आईटी प्रभारी