- एनएसआई में वर्कशॉप स्टार्ट, एक्सपर्ट्स ने बगास से पार्टिकलबोर्ड बनाने की जानकारी दी
- इंस्टीट्यूट में शुगर इंडस्ट्री से बचे करीब 5 परसेंट बगास से पार्टिकल बोर्ड बनाने का ट्रायल हुआ सफल
KANPUR:
शुगर इंडस्ट्री की बगास का यूज अब स्टाइलिश माडर्न फर्नीचर बनाने में किया जाएगा। जी हां, शुगर इंडस्ट्री में एनर्जी यूज के बाद बच रही करीब 5 परसेंट बगास का यूज पार्टिकल बोर्ड बनाने का ट्रायल किया गया, जो पूरी तरह से सफल रहा। जिसके बाद थर्सडे को इंस्टीट्यूट में एक वर्कशॉप आर्गनाइज की गई, जिसमें एक्सपर्ट्स ने पार्टिकल बोर्ड बनाने की जानकारी इंस्टीट्यूट के स्टूडेंट्स को दी।
मजबूत व टिकाऊ पार्टिकल बोर्ड बना
नेशनल शुगर इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर डॉ। नरेन्द्र मोहन ने बताया कि अभी तक शुगर इंडस्ट्री में जो बगास वेस्ट हो जाती थी। उसी वेस्ट से पार्टिकल बोर्ड बनाया गया, जो काफी मजूबत और टिकाऊ बना है। इस बोर्ड का यूज माडर्न फर्नीचर बनाने में किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि देश की शुगर इंडस्ट्री से करीब साढ़े चार से पांच मिलियन मीट्रिक टन बगास वेस्ट में निकल रहा था। इस ट्रायल के सफल होने के बाद अब इसका और भी बेहतर यूज किया जा सकेगा।
देवदार से भी ज्यादा मजबूत
यूकेलिप्टस व देवदार के पार्टिकल बोर्ड की तुलना में बगास का पार्टिकल बोर्ड काफी मजबूत निकला है। इसे 2 से 24 घंटे तक पानी में डाल दें तो भी इस पर कोई असर नहीं होगा। बोर्ड जस का तस बना रहेगा। उन्होंने बताया कि शुगर टेक्नोलॉजी की वजह से वुड पैनल बनाने में रॉ मैटीरियल की डिमांड बढ़ा दी है। वर्कशॉप में प्रो स्वेन ने बताया कि शुगर टेक्नोलॉजी की फील्ड में जो नये बदलाव आ रहे हैं, उनसे अच्छा रिजल्ट मिल रहा है। बगास अब धीरे धीरे शुगर इंडस्ट्री के लिए अहम साबित हो रहा है। आने वाले टाइम में इससे कई अन्य प्रोडक्ट भी बनाए जाने की संभावना है।
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- 24 घंटे पानी में रहने के बाद भी क्वालिटी पर कोई असर नहीं
- 5 मिलीयन मीट्रिक टन बगास शुगर इंडस्ट्री से बचता है