कानपुर (ब्यूरो)। रोडवेज की दौड़ती व्यवस्था को जिम्मेदार ही बदहाल कर रहे हैं। पैसेंजर सफर करने को तैयार हैं, लेकिन रोडवेज बसें चलाने को तैयार नहीं है। एक ओर जहां प्राइवेट बसें फुल लोड पर चल रही हैं, वहीं रोडवेज की बसें कब बंद कर दी जाती हैं, किसी को पता ही नहीं चलता। शहर में चल रहीं चार लग्जरी बसों को कोरोना के टाइम पर बंद कर दिया गया। हैरानी वाली बात यह है कि चार साल से ज्यादा टाइम होने के बाद भी ये बसें गायब हैं। सूत्रों की माने तो प्राइवेट बस ऑपरेटरों का कारोबार बढ़ाने के लिए सरकारी बसों को बंद किया गया है। ऐसे में प्राइवेट बसों का हब बनता जा रहा है। प्राइवेट बसें लोगों से आवागमन में मनमाना किराया वसूल रही हैं, वहीं टैक्स चोरी का माल लाकर रोजाना सरकार को चूना भी लगा रही हैं।

स्कैनिया, रॉयल क्रूजर जैसी बसें
कोरोना के एक साल पहले तक लखनऊ से दिल्ली वाया कानपुर व आगरा व वाराणसी से कानपुर के बीच में स्कैनिया, रॉयल क्रूजर नाम की लग्जरी बसों का संचालन होता था। जिसमें वीआईपी पैसेंजर्स सफर करते थे। वहीं कानपुर के वीआईपी पैसेंजर्स के पास शताब्दी व राजधानी जैसी वीआईपी ट्रेनों में कंफर्म टिकट न मिलने पर लग्जरी बस का भी ऑप्शन था। जोकि वर्तमान में नहीं है।

रोडवेज से अनुबंधित थीं बसें
रोडवेज आफिसर्स के मुताबिक कोरोना काल के पहले तक वाया कानपुर होकर चार लग्जरी बसों का संचालन होता था। यह बसें डिपार्टमेंट से अनुबंधित थी। जिसमें ड्राइवर तो प्राइवेट कंपनी का होता था लेकिन कंडक्टर रोडवेज डिपार्टमेंट का होता था। बस में रोडवेज के निर्धारित किए गए फेयर ही पैसेंजर्स से लिया जाता था। यही कारण था कि बस का फेयर प्राइवेट ट्रैवल्स एजेंसियों को काफी कम होता था। वर्तमान में कानपुराइट्स को लग्जरी बसों में जर्नी करने के लिए अधिक जेब खाली करनी पड़ती है।

नहीं लगेगा कोई खर्चा
रोडवेज विभाग झकरकटी बस अड्डे को 167 करोड़ रुपए से रीडेवलपमेंट करने जा रहा है। इसके अलावा बस अड्डे में कई वीआईपी सुविधाओं को बढ़ाने के लिए डिपार्टमेंट को पैसा खर्च करना पड़ेगा लेकिन वाया कानपुर होकर लग्जरी बसों का संचालन करने में डिपार्टमेंट को पैसा खर्चा करने के बजाए मिलेगा। वहीं बड़ी संख्या में कानपुराइट्स को भी लाभ मिलेगा।

40 परसेंट बस कानपुर से भरती थीं
रोडवेज के पुराने स्टॉफ की माने तो लखनऊ से दिल्ली वाया कानपुर चलने वाली बस में 40 परसेंट पैसेंजर्स कानपुर से सफर करता था। यानी की बस की 40 परसेंट सीट कानपुर से फुल होती थी। इसके बावजूद यह सेवा को कोरोना खत्म होने के बाद भी बहाल नहीं किया गया। जबकि बड़ी संख्या में कानपुराइट्स को लग्जरी बसों की सर्विस की जरूरत है।