कानपुर (ब्यूरो)। पीडब्ल्यूडी पहली बार डिस्ट्रिक्ट में रोड बनाने में जापानी टेक्नोलॉजी फुल डेप्थ रिक्लेमेशन का यूज करेगा। चौबेपुर से बंदी माता मंदिर तक जाने वाली 9 किलो मीटर लंबी रोड इसी टेक्नोलॉजी से बनाई जाएगी। इसके लिए शासन की एक्सपेंडीचर फाइनेंस कमेटी(ईएफसी) ने ग्र्रीन सिग्नल भी दे दिया है। पीडब्ल्यूडी इंजीनियर्स की मानें तो एफडीआर टेक्नोलॉजी के यूज से रोड बनाने में खर्च कम आएगा और लाइफ भी अधिक होगी।
10 साल तक चलेगी रोड
पीडब्ल्यूडी इंजीनियर के मुताबिक प्रति किमी। रोड बनाने में मैटेरियल, मशीनरी, लेबर आदि को मिलाकर सवा करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च होता है। वहीं एफडीआर टेक्नोलॉजी में लगभग 70 लाख रुपये प्रति किलोमीटर खर्च होगें। इससे एक किमी लंबी रोड पर 30 लाख रुपये की बचत होगी। साथ ही एफडीआर टेक्नोलॉजी से बनी सड़क 10 साल तक चलेगी। इसमें बारिश का बहुत ज्यादा प्रभाव नहीं होगा।
तीन से पांच मीटर होगी चौड़ी
बंदी माता मंदिर की रोड अभी तीन मीटर चौड़ी है। इसे बढ़ाकर पांच मीटर किया जाएगा। पीडब्ल्यूडी ऑफिसर्स ने बताया कि डिस्ट्रिक्ट की यह पहली एफडीआर तकनीक से बनने वाली रोड होगी। इससे पहले किसी भी रोड में इस तकनीक का प्रयोग नहीं हुआ है। प्लान के मुताबिक, अगर इसके रिजल्ट मनमुताबिक मिलते हैं तो शहर की अन्य रोड्स पर ही इस तकनीक का यूज किया जाएगा।
यह होती है एफडीआर तकनीक
पुरानी रोड को खोदकर उसे बारीक टुकड़ों में तब्दील किया जाता है। उखाड़ी गई सड़क की पपड़ी को रीसाइकिल कर सड़क पर बिछाकर समतल किया जाता है। इसके बाद सीमेंट में चिपकने वाले केमिकल मिलाकर उसका घोल तैयार कर समतल किये गए हिस्से पर सतह के रूप में डाला जाता है। फिर इसे रीसाइक्लर और मोटरग्रेडर उपकरणों से रोल करने के बाद पैडफुट रोलर और काम्पैक्टर से दबाया जाता है। इसके बाद सात दिनों तक पानी से तराई की जाती है। फिर ट्रैफिक लोड सहने के लिए स्ट्रेस एब्सार्बिंग इंटर लेयर तैयार की जाती है। इसके ऊपर पेवर मशीन से बिटुमिन कंक्रीट बिछाकर उस पर रोलर चलाया जाता है।
पहली बार डिस्ट्रिक्ट की चौबेपुर-बंदी माता मंदिर रोड को जापानी टेक्नोलॉजी एफडीआर से बनाया जाएगा। शासन की फाइनेंस कमेटी ने रोड बनाने को सहमति दे दी है। इससे रोड बनाने में खर्च कम आने के साथ
अनिल कुमार, एसई पीडब्ल्यूडी