कानपुर (ब्यूरो)। गर्भवती महिलाओं में डायबिटीज होने के बहुत चांसेस होते हैं, इसलिए उन्हें नियमित अपना चेकअप कराते रहना चाहिए। जिससे उनके होने वाले बच्चे को मोटापा, मधुमेह या किसी और बीमारी का शिकार न होना पड़े। यहां तक कि डिलीवरी के 6 महीने बाद तक भी चेकअप कराते रहना चाहिए। इसके साथ ही अपनी लाइफ स्टाइल को कंट्रोल में रखें। जरा सी भी लापरवाही के कारण उन्हें या उनके बच्चे को बड़ी बीमारी का सामना करना पड़ सकता है।

डिटेल में दी जानकारी

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने 14 नवम्बर को वल्र्ड डायबिटीज डे पर कानपुराइट्स को अवेयर करने के लिए एक कार्यक्रम आयोजित किया। इस मौके पर आईएमए कानपुर की प्रेसीडेंट सीनियर फिजीशियन डायबिटीज एक्सपर्ट डॉ। नंदिनी रस्तोगी ने मधुमेह की गंभीरता और उससे जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं पर विस्तार से जानकारी दी। डॉ। रस्तोगी ने बताया कि 14 नवंबर को विश्व मधुमेह दिवस मनाने का फैसला इंटरनेशनल डायबिटिक फेडरेशन और वल्र्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन ने 1991 में किया था। इसका उद्देश्य लोगों को मधुमेह के जोखिमों और उसके नियंत्रण के महत्व के बारे में जागरूक करना है।

कोविड के बाद से बढ़े मामले

आईएएम कानपुर के सचिव डॉ। विकास ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान इंसुलिन प्रतिरोध बढऩे से महिलाओं में मधुमेह की संभावना अधिक होती है। सही काउंसलिंग और नियमित चेकअप से मधुमेह के जोखिम को कम किया जा सकता है। डॉ। विकास ने यह भी बताया कि कोरोना महामारी के बाद से मधुमेह की बीमारी बढ़ी है, क्योंकि लोग घरों से बाहर निकलना बंद कर दिए थे। इसलिए जितना हो सके लोग व्यायाम करें और रोज़ाना 30 मिनट तक वॉक करें।

ये लोग थे शामिल

इस कार्यक्रम के उपाध्यक्ष डॉ। चंदू निलानी, डॉ। आशीष कुमार शाह, डॉ। कुशाद सहायक और डॉ। अमित सिंह सहित अन्य डॉक्टरों ने भी अपने विचार साझा किए। कानपुर डायबिटीज एसोसिएशन के सदस्य डॉ। ब्रिजेश मोहन, डॉ। रितेश चौधरी और डॉ। प्रीति आहुजा ने भी इस अवसर पर मधुमेह की रोकथाम पर अपने सुझाव दिए।