- रेलवे ई टिकट के दलालों पर शिकंजा कसने को ले रहा 'प्रबल' सॉफ्टवेयर का सहारा
- लगातार एक पर्सनल आईडी से टिकट बुकिंग को कर सकता है ट्रैक, पर्सनल आईडी से ट्रांजेक्शन का डाटा भी कर सकता है स्टोर
KANPUR:
ट्रेनों में रिजर्वेशन आसानी से मिल सके, इसके लिए दलालों को रोकने में अब रेलवे 'प्रबल' सॉफ्टवेयर की मदद लेगा। इस सॉफ्टवेयर के जरिए वह टिकट दलालों को पकड़ेगा। इसके यूज से कई जगहों पर पहले ही आरपीएफ को टिकट दलालों का नेक्सस तोड़ने में सफलता मिली है। जिसे देखते हुए अब रेलवे इसका यूज सभी डिवीजनों में करेगा। इस सॉफ्टवेयर के जरिए न सिर्फ आरपीएफ टिकट दलालों पर नजर रख सकेगी। बल्कि ऐसे दलालों का डाटा भी सिक्योर रख सकेगी। रेलवे की ओर से आरपीएफ की स्पेशल क्राइम ब्रांच को इस सॉफ्टवेयर की ट्रेनिंग दी जानी शुरू भी कर दी गई है।
कैसे काम करेगा 'प्रबल'
- पहले टिकट दलालों को पकड़ने के लिए आरपीएफ को किसी दलाल के पास एक फर्जी पैसेंजर भेज कर पुष्टि करानी पड़ती थी कि वह टिकट की दलाली करता है या नहीं
- रेलवे बोर्ड की परमिशन के बाद आरपीएफ ने प्रबल सॉफ्टवेयर को तैयार कराया। जोकि पूरे देश में जिन भी पर्सनल मेल आईडी से टिकट बुकिंग होती है उसका डाटा सिक्योर कर लेता है।
- सॉफ्टवेयर यह बता देता है कि उन मेल आईडी से कितनी बार कहां कहां से और किसके नाम से टिकट बुक किए गए और उनमें कौन सी आईडी लगाई गई।
- यह डाटा सेंट्रली कलेक्ट होगा। जिसे फिल्टर कर संबंधित डिवीजनों में भेजा जाएगा। जहां आरपीएफ की स्पेशल ब्रांच इन मेल आईडी से हो रहे ट्रांजक्शंस को ट्रैक करेगी।
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पायलट प्रोजेक्ट सक्सेसफुल
रेलवे के इस सॉफ्टवेयर का सबसे पहले यूज बतौर पायलट प्रोजेक्ट कोटा में हुआ। जहां आरपीएफ ने इस सॉफ्टवेयर की मदद से दलालों की ओर से बुक कराए 295 टिकटों को पकड़ा जिनकी कीमत लाखों में थी। इस दौरान तीन दलालों को भी अरेस्ट किया गया जिन्होंने 6 यूजर आईडी के जरिए इन 295 टिकटों की बुकिंग की थी।
'पैसेंजर्स को आसानी से ट्रेन में रिजर्वेशन मिले। इसके लिए टेक्नोलॉजी की मदद भी ली जा रही है। टिकट दलालों पर इस नए सॉफ्टवेयर से काफी अंकुश लगेगा। एनसीआर में इसके यूज को लेकर आरपीएफ काम कर रही है.'
- गौरव कृष्ण बंसल, सीपीआरओ, नार्थ सेंट्रल रेलवे