कानपुर (ब्यूरो)। बारिश ने शहर की सडक़ों की धज्जियां उड़ा दी हैं। गलियां हों, मेन रोड््स या फिर हाईवे। बस गड्ढे ही गड्ढे। गड््ढों की वजह से गाडिय़ां चलती नहीं बल्कि हिचकोले खाती हैं। एक्सीलेटर का यूज कम, ब्रेक और क्लच का ज्यादा हो रहा है। गड््ढे इतने बड़े हैं कि गाडिय़ों के पहिए तक इनमें समा जाते हैं। लगता है अब पलटी कि तब पलटी। ये गड्ढे इंसान के साथ-साथ गाडिय़ों की सेहत भी बिगाड़ रहे हैं। पूरे शहर की बात करें तो ये गड्ढे रोजाना लाखों का झटका दे रहे हैं। क्योंकि गड्ढों के कारण मेंटिनेंस कास्ट बढ़ गई है। मैकेनिक्स के यहां गाडिय़ों की लाइन लगी हुई है।

क्लच और ब्रेक के सहारे
लगातार गड्ढों में चलने के कारण कार और बाइक के रिम तक टेढ़े हो रहे हैैं। बाइकों के शॉकर और टायर के साथ गड्ढे में गाड़ी जाने की वजह से इंजन भी गड़बड़ कर रहा है। लगातार क्लच और ब्रेक का यूज करने से गाडिय़ों का माइलेज भी कम होता जा रहा है। रफ रोड्स के कारण गाडिय़ां पंचर हो रही हैं। जिसका सीधा असर कानपुराइट्स की जेब पर पड़ रहा है। गड््ढों के कारण फोर व्हीलर्स का माइलेज कम होने के साथ ही सस्पेंशन का काम भी लगातार बढ़ रहा है, एलाइनमेंट भी गड़बड़ हो रहा है, जिससे टायर और रिम के खराब होने की परेशानी बढ़ रही है। गाडिय़ों के शॉकर और चेचिस भी खराब हो रहे हैैं।

शॉकर बैठने की प्रॉब्लम ज्यादा
आरटीओ विभाग में रजिस्ट्रेशन के मुताबिक शहर में 3.5 लाख फोर व्हीलर्स हैैं। जबकि 14 लाख टू व्हीलर हैैं। यूं तो शहर में कई जगह थोक और फुटकर पाट््र्स की शॉप और गैराज हैैं, लेकिन शहर में मरे कंपनी, बजरिया, बारादेवी, दीप चौराहा, कल्याणपुर और पनकी में टू व्हीलर्स और फोर व्हीलर्स के मैकेनिक ज्यादा हैं। यहां पर थोक की बाजार भी है। मरे कंपनी पुल के नीचे बने पाल कार केयर के मालिक की मानें तो शहर में गहरे गड्ढों की वजह से उनकी सेल में बड़ा बदलाव आया है। उनके गैराज में रोज 14 से 15 गाडिय़ां बनती हैैं, जिसमें 5 से 6 गाडिय़ों में सस्पेंशन का काम होता है। एक गाड़ी में 20 से 35 हजार रुपये खर्च आता है। वहीं राजकुमार ने बताया कि हर महीने चैैंबर फटने और सस्पेंशन खराब होने की दो दर्जन से ज्यादा शिकायतें आती हैैं।

नट बोल्ट हो जाते ढीले
बाइक मैकेनिक एजाज अहमद का कहना है कि सडक़ खराब होने से गाड़ी के इंजन पर प्रभाव पड़ता है। बार-बार क्लच लेने से माइलेज तो कम होता ही है साथ ही इंजन जल्दी गर्म हो जाता है और सर्विस जल्दी करानी पड़ती है। वहीं दूसरे मैकेनिक की मानें तो लगातार गड्ढे में पडऩे की वजह से गाड़ी के सारे नट बोल्ट ढीले पड़ जाते हैैं। जो सर्विस 45 दिन से लेकर 75 दिन में होती थी वह 35 से 40 दिन में करनी पड़ रही है। सीधे कस्टमर की जेब कट रही है।