कानपुर (ब्यूरो)।वहीं सबसे चौकाने वाला खुलासा ये हुआ है कि धमाके का प्लान पश्चिम बंगाल में बनाया गया था। इस मॉडस अप्रेंडी पर खुरासान मॉड्यूल ही काम करता है। इसलिए एजेंसियों का ये मानना है कि इस ट्रेन को पलटाकर बड़ी तबाही की बार बार साजिश से रेलवे के साथ सुरक्षा एजेंसियों की नींद उड़ा दी है। संडे रात को ट्रैक पर एलपीजी सिलेंडर और पेट्रोल बम रखकर कालिंदी एक्सप्रेस में धमाके की साजिश का पता लगाने के लिए अब एनआईए यानि एनेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी भी शामिल हो गई है। जांच के शुरुआती बिंदू आतंकी साजिश की ओर इशारा कर रहे हैं। धमाके का प्लान खुरासान माड्यूल का हो सकता है। पुलिस ने मामले में हिस्ट्रीशीटर शाहरुख को अरेस्ट किया है। वो कुछ दिन पहले बंगाल से लौटा है। वहीं एक दर्जन से अधिक संदिग्धों से भी पूछताछ जारी है।

50 किमी तक बढ़ाया दायरा
साजिश के तार पता लगाने के लिए फर्रुखाबाद से लेकर कानपुर और कानपुर से लेकर लखनऊ और गोरखपुर तक सुरक्षा एजेंसियों और पुलिस ने अपना जाल बिछा दिया है। पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार ने बताया कि अब तक पुलिस की जांच का दायरा कुछ किलोमीटर की रेडियस में था लेकिन अब जांच का दायरा 50 किलोमीटर तक बढ़ा दिया गया है। आस पास के जिलों के कप्तानों से भी कोऑर्डिनेशन किया गया है। कन्नौज और फर्रुखाबाद तक जांच का दायरा बढ़ा दिया गया है।

कॉशन ने फेरा मंसूबों पर पानी
हादसे के बाद पुलिस के पहुंचने और सारे इलाके को सील करने में 5 घंटे का समय लग गया होगा। सुरक्षा एजेंसियों का ये मानना है कि हादसे से कुछ घंटे पहले ही दूसरी ट्रेन फर्रुखाबाद की तरफ पास हुई होगी, इसके बाद ही ट्रैक पर सिलेेंडर रखा गया होगा। दहशतगर्दों का मंसूबा सवारी गाड़ी को निशाना बनाना था, जिससे ज्यादा से ज्यादा कैजुअलटी हो सके। लेकिन रेलवे ट्रैक पर लगे कॉशन ने दहशतगर्दों के मंसूबों पर पानी फेर दिया। कालिंदी से सिलेेंडर टकराने और पुलिस के अलर्ट जारी करने में 5 घंटे का समय लगा था। ये देखा जा रहा है कि इन पांच घंटों में दहशतगर्द कहां तक जा सकते हैैं।

डीआईजी रेलवे पहुंचे घटनास्थल
डीआईजी रेलवे राहुल राज, आई जी रेलवे और रेलवे के तमाम सीनियर अधिकारी मौके पर पहुंचे और मामले की जानकारी लेकर घटनास्थल का निरीक्षण किया। डीआईजी रेलवे राहुल राज ने आस पास के लोगों से अपील की कि अगर उन्हें कोई संदिग्ध दिखता है या कोई संदिग्ध वस्तू मिलती है तो 112 और 139 पर रेलवे में सूचना दें। आरपीएफ और जीआरपी समेत रेलवे के सभी अधिकारी और जिला पुलिस के साथ मिलकर मॉनीटरिंग करेेंगे। जो लोग डिटेन किए गए हैैं उनसे जिला पुलिस पूछताछ कर रही है।

सिलेंडर से नहीं मिल पा रहा सुराग
डीसीपी वेस्ट राजेश कुमार सिंह ने बताया कि आस पास की एजेंसियों से बीते दिनों में 300 सिलेंडर बेचे गए हैैं। एजेंसी से 300 लोगों की लिस्ट लेकर घर-घर जाकर इसकी जांच की जा रही है, हालांकि पुलिस अभी तक इन सभी सिलेंडरों की जांच नहीं कर पाई है। डीसीपी वेस्ट के मुताबिक जल्द ही ये जांच पूरी होगी, हर संभव शंका पर काम किया जा रहा है। इंडियन ऑयल के अधिकारियों से बी बात की गई लेकिन सिलेंडर पर लिखे नंबर से पहचान करना मुश्किल ही नहीं असंभव बताया जा रहा है।

कैमरों की फुटेज से कुछ नहीं मिला
टोल पर लगे कैमरों की फुटेज की रेंज गली के बाहर रोड तक है। इसके अलावा दालमिल, कोल्ड स्टोरेज पेट्रोल पंप, शराब की दुकानें, अस्पताल, ढाबा और तमाम सार्वजनिक स्थानों पर लगे कैमरों की फुटेज चेक की गई है, जिसमें कोई सुराग नहीं मिला है। फुटेज में गैस सिलेेंडर लेकर जाता हुआ व्यक्ति देखा जा रहा है, लेकिन तस्वीर सामने नहीं आ पा रही है। वहीं छिबरामऊ से सियाराम स्वीट्स के डीवीआर की जांच बी की गई है। उसमें भी अभी तक कोई सुराग नहीं मिला है। जिस ब्रांड की माचिस मिली है उस ब्रांड की माचिस का गोदाम भी शिवराजपुर में है। इससे बहुत सी शंकाओं पर विराम लग गया। मंगलवार सुबह एनआईए की टीम घटनास्थल पर पहुंची। एनआईए की महिला अधिकारी ने सीटी फाटक से लेकर घटनास्थल तक की बारीकी से पेट्रोलिंग की।

मोबाइल डाटा किया जा रहा फिल्टर
एनआईए अधिकारियों की मानें तो इस तरह की घटनाएं खुरासान मॉड्यूल ही करवाता है। सबसे बड़ी बात जो पकड़ में आई है कि इस घटना में लोकल माड्यूल का यूज किया गया है। हालांकि कोई भी अधिकारी या एजेंसी के सीनियर अधिकारी इसे अब तक आतंकी घटना मानने से इंकार कर रहे हैै। प्लानिंग के भी निर्देश कहीं न कहीं से मिल रहे हैैं। पुलिस ने जो डाटा डंप किया था उसे भी फिल्टर किया जा रहा है। अब तक जो भी मोबाइल नंबर सामने आए हैैं, उन मोबाइल होल्डर्स को भी जांच के दायरे में रखा गया है, लेकिन रोड करीब होने और कई गांव होने की वजह से ये डाटा ज्यादा है, जिसे खंगालने में समय लगने की बात कही जा रही है।

बस स्टॉप, रेलवे स्टेशन से एयरपोर्ट तक नजर
एटीएस सूत्रों की मानें तो घटना के बाद पुलिस के तुरंत एक्टिव होने की वजह से वारदात को अंजाम देने वाले आस पास ही छिपे हो सकते हैैं। शायद मामला ठंडा होने पर सुरक्षित स्थान पर जाने का प्लान हो सकता है। लिहाजा आस पास के जिलों के बस स्टॉप, रेलवे जंक्शन, लखनऊ और कानपुर एयरपोर्ट पर भी एजेंसियों ने निगेहबानी कर रखी है। हर एक्टिविटी को बारीकी से जांचा रहा है। सीसीटीवी कैमरों की पुरानी फुटेज भी खंगाली जा रही है।