कानपुर (ब्यूरो)। झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज के एनआईसीयू में फ्राइडे रात अग्निकांड में 10 नवजात बच्चों की मौत हो गई। शहर की बात करें तो यहां भी मानकों पर ताक पर रखकर तंग गलियों में हॉस्पिटल और नर्सिंगहोम चल रहे हैं। कल्याणपुर, नौबस्ता और पनकी में दर्जनों की संख्या में बिना किसी रजिस्ट्रेशन व फायर एनओसी के पतली-पतली गलियों में हॉस्पिटल व नर्सिंगहोम चल रहे हैं। जहां आग लगी तो वहां भर्ती पेशेंट को बचाना मुश्किल हो जाएगा। आलम यह है कि दो से तीन कमरे के नर्सिंगहोम में आईसीयू से लेकर एनआईसीयू तक बना रखा है। ऐसे में सोचने वाली बात है कि यहां पर अगर किसी वजह से आग लगती है तो झांसी जैसी दर्दनाक घटना से इनकार नहीं किया जा सकता है। हैरानी वाली बात यह है कि जिम्मेदारों को इसकी पूरी जानकारी है, लेकिन इसके बाद भी वो आंखें मूंदे बैठे हुए हैं।
2 हजार से ज्यादा अवैध हॉस्पिटल और नर्सिंगहोम
सूत्रों के मुताबिक, सिटी में पांच से ज्यादा नर्सिंगहोम और हॉस्पिटल चल रहे हैं। लेकिन इनमें रजिस्टर्ड सिर्फ 3 हजार ही हैं। 2 हजार से ज्यादा प्राइवेट हॉस्पिटल व नर्सिंगहोम ऐसे हैं, जिनकी फायर एनओसी तो दूर की बात है हेल्थ डिपार्टमेंट से रजिस्टर्ड भी नहीं है। सबसे अधिक अवैध हॉस्पिटल और नर्सिंगहोम कल्याणपुर, पनकी एरिया में हैं। कल्याणपुर इलाके में हेल्थ डिपार्टमेंट के आफिसर्स व कुछ स्थानीय सफेद पोश की सह पर मेडिकल सुविधाओं के नाम पर गोरखधंधा खुलेआम चल रहा है।
8 बाई 10 के कमरे में एनआईसीयू व आईसीयू
हालात यह है कि 8 बाई 10 फिट के कमरे में लोगों ने एनआईसीयू व आईसीयू खोल रखा है। जहां आईसीयू व एनआईसीयू का एक भी रूल फॉलो नहीं किया जाता है। पेशेंट व उनके अटेंडेंट को बहला फुसला कर उसने मोटी रकम खींच ली जाती है। जबकि पेशेंट की जान पर बन आती है तो उनको गवर्नमेंट हॉस्पिटल के लिए रेफर कर देते हैं।
फायर एनओसी तो दूर रजिस्ट्रेशन तक नहीं
कल्याणपुर, नौबस्ता, प्रयागराज रोड में बड़ी संख्या में आपको नर्सिंगहोम व हॉस्पिटल के बोर्ड में सुपर स्पेशलिस्ट सुविधाओं मुहैया कराने के दावे लिखी मिल जाएंगे। जबकि हकीकत तो यह होती है कि लोकल सेटिंग कर यह हॉस्पिटल व नर्सिंगहोम बिना रजिस्ट्रेशन के चल रहे हैं। जिनकी फायर एनओसी भी संचालक द्वारा नहीं ली जाती है। इन हालातों में आग की घटना होने पर जिम्मेदार कौन होगा, इसका जाम किसी के पास नहीं है।
हैलट के एनआईसीयू का प्रिंसिपल ने किया निरीक्षण
झांसी में फ्राईडे की रात हुई दर्दनाक घटना को संज्ञान में लेते हुए सैटरडे को जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ। संजय काला ने पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट के एनआईसीयू का निरीक्षण कर टेक्नीशियन से सुरक्षा का जायजा लिया। इसके अलावा उन्होंने जेआई व फायर स्टॉफ से भी बात कर व्यवस्थाओं का दुरस्त रखने का आदेश दिया। निरीक्षण के दौरान एनआईसीयू के फायर सिस्टम में खामी पाई गई है। जिसको दुरुस्त करने के लिए कंपनी को बोला गया है।
एग्जिट गेट बढ़ाने के निर्देश
इसके अलावा झांसी की घटना की घटना से सीख लेते हुए एनआईसीयू में एग्जिट गेट बढ़ाने व विंडो से लोहे की ग्रिल निकाल कर बोर्ड लगाने का आदेश दिया है। वहीं एनआईसीयू में बैटरी से चलने वाली लाइटें भी लगाई जाएंगी। जिससे कोई इमरजेंसी में लाइट कटने के बावजूद अंधेरा न हो और रिस्क्यू करने में कोई परेशानी न हो।
मशीनों का टाइम शेड्यूल तय करें
झांसी जैसी घटना यहां पर न हो, इसके लिए प्रिंसिपल ने स्टॉफ को एनआईसीयू में मौजूद जीवन रक्षण मशीनों को चलाने का टाइम शेड्यूल बनाकर तैयार करने का आदेश दिया है। मशीनों को समय-समय पर ब्रेक देकर उनको हीट करने से बचाया जा सके। सोर्सेस के मुताबिक जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट में गवर्नमेंट का सबसे बड़ा एनआईसीयू है। जहां 24 घंटे बेड भरा रहता है। लिहाजा नवजात के जीवन को सुरक्षित रखने के लिए 24 घंटे सातों दिन मशीनें चलाने की मजबूरी बन जाती है। लिहाजा टाइम शेड्यूल तैयार कर मशीनों को भी रिलीफ देने का आदेश दिया गया है।
प्रिंसिपल ने झांसी मेडिकल कॉलेज भेजी मदद
अग्निकांड में एनआईसीयू भी पूरी तरह राख हो चुका है। वहां भर्ती अन्य नवजात को सुरक्षित करने के लिए जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल ने वहां वार्मअप मशीनें भेजी है। इसके अलावा वाई पाइप भी एम्बुलेंस के साथ भेजी है। नवजात बच्चों की देखरेख में सीनियर प्रो। यशवंत राव की अगुवाई में एक मेडिकल टीम भी भेजी है।