कानपुर (ब्यूरो)। न आपसे खाते की जानकारी ली जाएगी और न ही आपसे ओटीपी मांगा जाएगा और आपके खून पसीने की कमाई साइबर शातिरों के खाते में चली जाएगी। आपको पता तभी चलेगा जब आप अपने खाते को चेक करेंगे। शहर में बीते कुछ दिनों में साइबर शातिरों ने इस नए पैैंतरे से दर्जनों लोगों के खातों में सेंध लगाई है और लाखों रुपये खाते से पार कर दिये। ठगी का ये पैैंतरा इतना हाईटेक है कि आप अगर अपनी रकम को लेकर बहुत ही अलर्ट हैं या आप डिजिटल ट्रांजेक्शन नहीं करते हैैं तो ही बच सकते हैं। क्योंकि साइबर क्रिमिनल्स लोगों का पासवर्ड हैक कर ठगी इस तरह की वारदातों को अंजाम दे रहे हैं। ऐसे में अगर आपको साइबर क्रिमिनल्स से अपना पैसा बचाना है तो अपनी और फैमिली डिटेल्स सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शेयर न करें। साथ ही डिजिटल लेनदेन से जुड़े पासवर्ड आसान न बनाएं।
ऐसे उड़ा रहे रकम
साइबर शातिर सोसाइटी को फाइनेंशियली और सोशली कमजोर कर रहे हैं। साइबर शातिरों की ठगी की डिक्शनरी में साइबर क्रिमनल्स ने क्राइम का एक नया तरीका ईजाद किया है, जिसे पासवर्ड अटैक नाम दिया गया है। इसमें साइबर अपराधी एकांउट तक पहुंचने के लिए कई तरह के तरीके अपनाते हैं, जिसमें डिक्शनरी ब्रूड फोर्स अटैक (पासवर्ड का अनुमान लगाने के लिए किए गए हमले) और डिक्शनरी फाइल जैसी टेक्निक शामिल है। पासवर्ड अटैक के दौरान साइबर क्रिमनल विक्टिम के कम्प्यूटर पर की-लागर जैसे पासवर्ड कैप्चरिंग टूल का यूज करते है।
इन स्टेप्स पर काम कर शातिर बना रहे कंगाल
फस्र्ट स्टेप : एनी हेल्प डेस्क से आपका मोबाइल हैक कर पर्सनल जानकारी करना।
सेकेंड स्टेप : फैमिली और बैैंक अकाउंट समेत तमाम जानकारियां पल में हासिल करना।
थर्ड स्टेप : बिना किसी जानकारी के बैैंक अकाउंट से रुपये पार कर देना।
ऐसे बच सकते हैं आप
- अपनी फैमिली और प्राइवेट जानकारी मोबाइल पर न रखें
- कोई भी पासवर्ड पत्नी, बच्चे या उस शहर के नाम न रखें।
- डेट ऑफ बर्थ, नाम, आईकार्ड, फोन नंबर आदि पासवर्ड न बनाएं।
- मोबाइल में पासवर्ड सेव करके न रखें, हैक हो सकता है।
-आठ कैरेक्टर से कम का पासवर्ड नहीं होना चाहिए।
- ऑनलाइन ट्रांजेक्शन का पासवर्ड वेरिएशन में बनाएं,
मोबाइल का पासवर्ड भी डिफरेंट वेरिएशन का हो।
- न्यूमेरिक, अल्फाबेट और रोमन साइन से मिलाकर पासवर्ड बनाएं
- अलग-अलग एकाउंट के लिए अलग पासवर्ड का यूज करें।
-पासवर्ड किसी से शेयर करें उसे तत्काल बदल दें।
-नियमित अंतराल पर पासवर्ड बदलते रहें।
ये मामले आए हैैं सामने
चाणक्यपुरी निवासी संतोष सिंह के खाते से इसी पैैंतरे से 1 लाख 32 हजार रुपये निकल गए।
सतबरी निवासी प्रापर्टी डीलर मनोहर शुक्ला के खाते से भी 90 हजार रुपये निकलने की शिकायत है।
स्वरूप नगर निवासी मृणांक राय के खाते से 70 हजार रुपये निकल गए।
अशोक नगर निवासी विधि सक्सेना के खाते से 45 हजार रुपये इसी पैैंतरे से निकाले गए हैैं।
नौबस्ता निवासी राहुल तिवारी के अकाउंट से 35 हजार और रोहित सचान के खाते से 70 हजार रुपये इसी पैैंतरे से निकाले गए हैैं।
एक गलती भी बन सकती बैंक खाली होने की वजह
सिर्फ फोन का ही नहीं बल्कि बैंकिंग ऐप या अन्य लेनदेन वाले ऐप्स का पिन भी बहुत मजबूत होना चाहिए। इससे आप खुद को साइबर क्राइम या धोखाधड़ी होने से बचाए रख सकते हैं। पिछले कुछ सालों से ऑनलाइन या बैंकिंग फ्रॉड जैसे मामलों में बढ़ोतरी होती दिख रही है और इसमें ज्यादा मामले कमजोर पासवर्ड, पिन या लिंक पर क्लिक करके किसी ऐप को डाउनलोड करने के हैं। इसलिए आप भी इस तरह की गलती बिल्कुल न करें।
आसान पिन से भी खाली हो सकता बैंक खाता
आपके द्वारा एंटर किया गया आसान पिन नंबर बैंक खाता खाली होने की वजह बन सकता है। में साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों की मानें तो 0000, 1111, 2222, 7777 जैसे पिन से बैंक खाता आसानी से खाली हो सकता है। आपके द्वारा एंटर किया गया कमजोर पासवर्ड या पिन नंबर हैकर्स के लिए हैकिंग का एक आसान तरीका बन सकता है। ऐसे में यूजर्स आपके बैंक खाते को आसानी से खाली कर सकते हैं।