कानपुर (ब्यूरो)। शहर के नर्सिंग होम और प्राइवेट हॉस्पिटल के डॉक्टर्स अब मनमानी नहीं कर पाएंगे। डॉक्टर्स को पेशेंट को वही दवा लिखनी होगी जो बाहर के मेडिकल स्टोर में भी मिल सके। ऐसा न करने वाले नर्सिंग होम और मेडिकल हॉस्पिटल पर कार्रवाई की जाएगी। अपर आयुक्त प्रशासन रेखा एस चौहान ने इसको लेकर आदेश दिए हैं। उन्होंने सभी ड्रग इंस्पेक्टर्स को नर्सिंग होम व हॉस्पिटल का औचक निरीक्षण कर जांच के आदेश दिए है। कहा कि नर्सिंग होम व प्राइवेट हॉस्पिटल के डॉक्टर्स के पेशेंट को लिखी जा रही दवाओं को हॉस्पिटल के मेडिकल स्टोर के अलावा आसपास के दूसरे मेडिकल स्टोर में भी चेक किया जाए कि दवाएं वहां उपलब्ध है या नहीं, ऐसा नहीं होने पर नियमानुसार हॉस्पिटल व नर्सिंग होम के खिलाफ कार्रवाई करें। यह प्लान तो काफी अच्छा है, लेकिन देखने वाली बात है कि दूसरे प्लान की तरह यह प्लान भी सिर्फ कागजों में ही न रह जाए।

डॉक्टर्स करते मनमानी
दरअसल, सिटी के ज्यादातर नर्सिंगहोम और प्राइवेट हॉस्पिटल्स में मेडिकल स्टोर खुले हुए है। यहां पेशेंट को मनमाने दामों में मेडिसिन दी जाती है। जबकि उसी साल्ट की मेडिसिन मार्केट में कम दामोंं में मिलती है। इसके बावजूद पेशेंट हॉस्पिटल के मेडिकल स्टोर से ही मजबूरन मेडिसिन खरीदता है। इसका वजह यह है कि नर्सिंग होम व प्राइवेट हॉस्पिटल के डॉक्टर्स वही मेडिसिन पर्चे में लिखते हैं। जो सिर्फ उनके मेडिकल स्टोर में ही मिलती है।

मेडिसिन मैन्यूफैक्चरिंग कंपनी से साठगांठ

अपर आयुक्त &प्रशासन&य रेखा एस चौहान की ओर से जारी लेटर में कहा है कि यह शिकायत मिल रही है कि नर्सिंग होम व प्राइवेट हॉस्पिटल के ओनर्स कुछ मेडिसिन मैन्यूफैक्चरिंग कंपनी से साठगांठ कर लेते है। जिससे वह अपने नर्सिंग होम व हॉस्पिटल में उसकी ब्रांड की कंपनी की मेडिसिन व इंजेक्शन रखते हैं। जिसकी वजह से पेशेंट की मजबूरी पड़ जाती है कि वह मेडिसिन हॉस्पिटल व नर्सिंग होम के मेडिकल स्टोर से ही खरीदें।

बिना फार्मासिस्ट चला रहे मेडिकल स्टोर

सिटी में सैकड़ों की संख्या में ऐसे नर्सिंग होम व प्राइवेट हॉस्पिटल है। जहां कैंपस में खुद का मेडिकल स्टोर खोल रखा है। नियमानुसार मेडिकल स्टोर में फार्मासिस्ट की तैनाती होना चाहिए। जबकि मेडिकल स्टोर में बिना डिग्री वाले ट्रेनी स्टॉफ को रख कर मेडिकल स्टोर संचालित किया जाता है। ऐसे में इन फार्मासिस्ट न रखने वाले हॉस्पिटल और नर्सिंगहोम पर भी शिकंजा कसा जाएगा।

3 हजार से अधिक नर्सिंगहोम व हॉस्पिटल

हेल्थ डिपार्टमेंट के एसीएमओ सुबोध यादव ने बताया कि सिटी में रजिस्टर्ड नर्सिंग होम, प्राइवेट हॉस्पिटल व क्लीनिक हैं। इनमें से 100 हॉस्पिटल बड़े, 1100 नर्सिंग होम मीडियम व 1800 के लगभग क्लीनिक हैं। इनमें से लगभग 50 परसेंट हॉस्पिटल, नर्सिंगहोम में कैंपस में ही ओनर ने खुद का मेडिकल स्टोर खोल रखा है।

कई माह से समिति कर रही थी मांग

यूपी केमिस्ट संघर्ष समिति के प्रदेश संयोजक राजेंद्र सैनी ने बताया कि संगठन कई माह से नर्सिंग होम व प्राइवेट हॉस्पिटल में बिना लाइसेंस चल रहे मेडिकल स्टोर को बंद कराने की मांग कर रहे थे। इसके अलावा पब्लिक की सुविधा को देखते हुए नर्सिंग होम व प्राइवेट हॉस्पिटल में डाक्टर की लिखी जाने वाली दवाएं बाहर मेडिकल स्टोर में भी उपलब्ध हो, इसकी मांग शासन से कर रहे थे। जिसको लेकर तीन दिन पूर्व अपर आयुक्त &प्रशासन&य ने यूपी के सभी असिस्टेंट कमिश्नर ड्रग को यह आदेश जारी किया है।

मेडिकल स्टोर के लिए यह है नियम
- शटरदार मेडिकल स्टोर होना चाहिए।
- ड्रग बेचने का लाइसेंस होना कंपलसरी
- मौके पर फार्मासिस्ट की तैनाती होनी चाहिए
- महंगी दवाओं पर डिस्काउंट देना चाहिए।