कानपुर (ब्यूरो)। क्या आप सिर्फ एक भाषा का ज्ञान रखते हैं या फिर एक से ज्यादा लैंग्वेज में बोल और लिख सकते हैं? अगर एक से ज्यादा लैंग्वेज की नॉलेज रखते हंै तो न सिर्फ ये करियर प्वाइंट के लिए अच्छा है बल्कि आपकी हेल्थ के लिए भी अच्छी बात है। यह हम नहीं कह रहे हैं बल्कि शहर के जीएसवीएसएस पीजीआई के न्यूरोसाइंस डिपार्टमेंट की रिसर्च है। रिसर्च के मुताबिक, एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान रखने वाले ब्रेन इंजरी के पेशेंट अन्य पेशेंट्स की तुलना में जल्दी रिकवर हो जाते हैं।

रिकवरी स्पीड
न्यूरो साइंस डिपार्टमेंट में ब्रेन इंजरी के 150 गंभीर पेशेंट पर दो साल तक रिसर्च की गई। खास तौर पर उनकी रिकवडी स्पीड पर फोकस किया गया। रिजल्ट में आया कि एक भाषा जानने वालों का ब्रेन उतना मजबूत नहीं होता है। जितना कि दो या इससे अधिक भाषाओं को जानने वालों का होता है। डिपार्टमेंट की इस रिसर्च को एशियन जर्नल ऑफ न्यूरो सर्जरी में पब्लिश करने के लिए भी चयनित किया गया है।

तीन से आठ दिन में बोलने लगते
रिसर्च के रिजल्ट चौकाने वाले रहे। दो से अधिक भाषाओं को जानने वाले लोग इंजरी के बाद तीन से आठ दिन में दोबारा बोलने लगे। वहीं सिर्फ एक भाषा का ज्ञान रखने वालों को पूर्ण रूप से रिकवर होने में तीन से छह महीने का समय लगा। इसके अलावा दो भाषाओं को जानने वाले को रिकवर होने में डेढ़ माह तक का समय लगा। एक्सपर्ट बताते है कि ब्रेन इंजरी वाले महिला पेशेंट की तुलना में पुरुषों में रिकवरी फास्ट होती है। यह भी तथ्य रिसर्च में सामने आया है।
रिसर्च में प्रमुख बात यह रही कि पेशेंट की मातृभाषा मसलन भोजपुरी, अवधी, ऊर्द, बुंदेली, बंगाली, पंजाबी आदि को ब्रेन ने सबसे पहले रिकवर किया। ब्रेन इंजरी से उबरने वाले पेशेंट ने सबसे पहले जन्म से बोली जाने वाली भाषा में ही दोबारा बोलना शुरू किया। दो से अधिक भाषा वालों में हिंदी, अंग्रेजी, बंगाली, पंजाबी, भोजपुरी, अवधि, उडिय़ा, कन्नड़ को जानने वाले रहे। जिनको रिसर्च में सम्मिलित किया गया था।

भाषा को अगल-अलग बॉक्स में स्टोर करता दिमाग
न्यूरो डिपार्टमेंट के एचओडी प्रो। मनीष सिंह ने बताया कि न्यूरो रिलेटेड सीरियस प्रॉब्लम वाले पेशेंट््स पर दो साल तक रिसर्च में महत्वपूर्ण बातों की भी जानकारी मिली। इसमें से एक यह रही कि ब्रेन के पास अलग-अलग भाषाओं को स्टोर करने का सिस्टम होता है। शोध में ब्रेन इंजरी के ऐसे पेशेंट को रखा गया। जिनको एक, दो या इससे अधिक भाषाओं की जानकारी है। सभी को अलग अलग कैटेगरी में रखकर रिसर्च की गई।