कानपुर (ब्यूरो)। रोड एक्सीडेंट और इनमें होने वाली मौतों में कानपुर पूरे प्रदेश में टॉप पर रहता है। शहर की सडक़ें और हाईवे खूनी हो गए हैं। यहां रोजाना औसतन एक जिंदगी पहियों के नीचे दफन हो जाती है। खास बात ये है कि पुलिस जानती है कि मौत के कारण क्या है लेकिन इन्हें रोकने के लिए सिर्फ कागजी घोड़े दौड़ाती है। क्योंकि जमीन पर इन्हें रोकने के लिए कमिश्नरेट पुलिस के पास संसाधन ही नहीं है। पुलिस की रिपोर्ट के मुताबिक, सबसे ज्यादा हादसे ड्रंक एंड ड्राइव और ओवरस्पीड के कारण होते हैं लेकिन कमिश्नरेट पुलिस के पास एल्कोहल चेक करने के लिए न तो ब्रीद एनालाइजर हैं और न रफ्तार नापने के लिए स्पीड गन? ऐसे में सवाल यही है कि ये मौतें कैसे होंगी कम?
निदेशालय को भेजी रिपोर्ट
ट्रैफिक विभाग ने एक से 15 अक्टूबर तक सडक़ सुरक्षा पखवाड़ा मनाया। इसका मकसद बढ़ते हादसों के प्रति लोगों को अवेयर कर इन्हें रोकना था। कमिश्नरेट पुलिस ने इसको लेकर अपनी रिपोर्ट भी निदेशालय को भेजी है। जिसमें हादसों की मुख्य वजहों में तेज रफ्तार, शराब पीकर गाड़ी चलाना और और ड्राइविंग के दौरान नींद आना नींद बताई। इसके साथ ही तेज रफ्तार नापने के लिए स्पीड गन और नशे की तीव्रता नापने के लिए ब्रीद एनालाइजर की मांग की। क्योंकि कमिश्नरेट होने के बावजूद वर्तमान में पुलिस के पास ब्रीद एनालाइजर नहीं है, वहीं स्पीड सेंसर गन खराब पड़ी है। ऐसे में पुलिस नशे और ओवरस्पीड को लेकर चालान भी नहीं कर पाती है।
ये आंकड़े डराते हैं
दरअसल हादसे में मरने वालों को जो आंकड़े हैैं, वे पूरी तरह से डराने वाले हैैं। 2023 में कानपुर में कुल 509 सडक़ हादसे हुए, जिनमें 417 लोगों की मौत हो गई। इस साल 30 सितंबर तक 315 हादसे हुए हैैं, जिनमें 267 लोगों की जिंदगी खत्म हो गई। यानि शहर में रोजाना एक से दो लोग सडक़ हादसों में अपनी जान गवां रहे हैं। एनसीआरबी की रिपोर्ट में भी कानपुर सडक़ हादसों के मामले में हर साल नंबर वन या दो पर रहता है। इसके बाद भी हादसों को रोकने को लेकर लापरवाही बरती जा रही है।
रैश ड्राइविंग और ड्रिंक एंड ड्राइव में एक भी चालान नहीं
शहर में अगर साल 2024 में चलान की स्थिति देखी जाए तो रैश ड्राइविंग और ड्रिंक एंड ड्राइव में एक भी चालान नहीं किया गया जबकि हादसे में मरने वालों की वजह नशा, नींद और तेज रफ्तार बताई गई। दरअसल ट्रैफिक विभाग के सूत्रों की मानें तो जनवरी से लेकर अगस्त तक शहर जाम से जूझता रहा। तमाम तरह की अनियमितताएं सामने आई। हादसों में अगर टू व्हीलर सवार की मौतों की बात की जाए तो ज्यादातर मौतें ट्रिपलिंग और हेलमेट न लगाने की वजह से हुईं। एटॉप्सी रिपोर्ट में इन मौतों की वजह हेड इंजरी आई है।
निरीक्षण, प्लानिंग, निर्देश और नतीजा जीरो
कानपुर में ज्यादातर हादसे हाईवे पर ब्लैक स्पॉट्स पर ही होते हैैं। कुछ दिन पहले हुए हादसे भी ब्लैक स्पॉट पर ही हुए। इसके बाद जिला प्रशासन और ट्रैफिक के साथ तमाम विभागों ने घटनास्थल का निरीक्षण किया। उसके बाद मौके पर ही प्लानिंग की गई। ये प्रक्रिया ज्यादातर हादसों के बाद होती है, लेकिन प्लानिंग के बाद सब कुछ खत्म हो जाता है। किसी प्लान पर काम नहीं हो पाता है।
बीते दिनों हुए बड़े हादसे और उनकी वजह
- पनकी में कार सवार पांच लोगों की मौत : ओवरस्पीड
- महाराजपुर में कार सवार दारोगा समेत दो की मौत : नींद
- घाटमपुर में ऑटो अनियंत्रित होकर पलटा, दो की मौत : ओवरस्पीड
- सचेंडी में हादसे में पति पत्नी की मौत :ओवरस्पीड
- बिधनू में सडक़ पार रहे दंपती की हादसे में मौत : ओवरस्पीड
- पनकी में टेम्पो की टक्कर से बाइक सवार की मौत : शराब
- कल्याणपुर में ट्रेलर अनियंत्रित होकर रेलवे ट्रैक पर पहुंचा : शराब
अगर लोग ट्रैफिक रूल्स फॉलो करें तो हादसों पर काफी हद तक अंकुश लग जा सकता है। नियमों का पालन नहीं करने वालों के खिलाफ चालान की कार्रवाई की जाती है। ब्रीद एनालाइजर और स्पीड गन की मांग की गई है। उम्मीद है जल्द ही मिल जाएंगे जिसके बाद टीम बनाकर कार्रवाई की जाएगी।
अर्चना सिंह, एडीसीपी ट्रैफिक