कानपुर (ब्यूरो)। केडीए ने 300 स्क्वॉयर मीटर से अधिक एरिया में बने रेजीडेंशियल सहित अन्य बिल्डिंग्स का रेन वाटर हार्वेस्टिंग प्लांट को लेकर सर्वे शुरू करा दिया है। जिन बिल्डिंग्स में रेन वाटर हार्वेस्टिंग नहीं पाई जाती है या एक्टिव नहीं है। ऐसी बिल्डिंग्स की लिस्ट तैयार की जा रही है। इनके ओनर्स क्षतिपूर्ति धनराशि वसूलने को लिस्ट डीएम को भेजी जाएगी। यह धनराशि 25 हजार प्रति बिल्डिंग तक हो सकती है।

हजारों की संख्या

गौरतलब है कि केडीए अब तक हजारों की संख्या में 300 स्क्वॉयर मीटर से अधिक एरिया की बिल्डिंग के मैप पास करा चुका है। मैप में तो लोग रूफटॉप रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का प्राविधान करते हैं। लेकिन बनवाने के समय किनारे कर देते हैं या फिर एक्टिव नहीं रखते हैं। जिसकी वजह से मानसून रेनफॉल होने पानी नालियों व नालों के जरिए बेकार बह जाता है। ग्र्राउंड वाटर रिचार्ज नहीं हो पाता है।

3 लाख तक हो सकती पेनॉल्टी

केडीए के मीडिया प्रभारी एसबी राय के मुताबिक मानसून सीजन में रूफटॉप रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम एक्टिव रहना जरूरी है। अगर सर्वे में एक्टिव नहीं पाई गई तो डीएम द्वारा पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति के रूप में अधिकतम 3 लाख रूपए पेनॉल्टी लगाई जा रही है। इसकी पूरी जिम्मेदारी बिल्डिंग ओनर्स की होगी।