कानपुर (ब्यूरो)। सिटी के मंदिरों और घरों में रात 12 बजे घंटे, शंख, थाली की आवाज और प्रभु की आरती के साथ श्री कृष्ण का जन्म हुआ। नन्द के आनन्द भयो जय कन्हैया लाल की, भये प्रगट गोपाला परम दयाला और हरि बिना म्होरी गोपाल बिना म्होरी सरीखे जयकारों, स्तुतिगान व आरती से मंडे को घर-घर और कृष्ण मंदिर गूंज उठे। देर रात सिटी का माहौल मथुरा से कम नहीं था। घरों से शंखों की आवाज ने ऐसा माहौल बनाया कि मानो घरों में श्री कृष्ण अवतरित हो गए हों। सिटी के मैनावती मार्ग स्थित इस्कान मंदिर में शाम छह बजे से ही भक्तों ने पहुंचना शुरू कर दिया था। जन्म के समय से पहले ही भगवान का अलग अलग द्रव्यों से अभिषेक कराया गया। 12 बजते ही कृष्ण धुन और राधे कृष्णा के जयकारों से पूरा मंदिर परिसर गूंज उठा। कुछ इसी तरह का माहौल जेके टेंपल में भी रहा। देर शाम से पहुंचे भक्तों ने जन्म होते जय जय श्री कृष्णा, राधे कृष्णा और गोविंदा के जयकारों से माहौल को भक्तिमय कर दिया। इसके अलावा शंख और वाद्ययंत्रों की धुन ने माहौल को बेहतर बनाने मेें कोई कसर नहीं छोड़ी। इसके अलावा सनातन धर्म मंदिर कौशलपुरी समेत सिटी के कई मंदिरों में जन्माष्टमी का जश्न मनाया गया।
इस्कॉन में 11 सितंबर तक चलेगा उत्सव
श्री कृष्ण का जन्म तो देर रात हो गया लेकिन इस्कॉन टेंपल में जन्मोत्सव 11 सितंबर को राधाष्टमी तक चलेगा। मंदिर के मीडिया कोआर्डिनेटर प्रशांत दास ने बताया कि ट्यूसडे को गंगा उत्सव और घर घर राधा कृष्ण उत्सव मनाया जाएगा, जिसमें घरों से राधा कृष्ण के भेष में सजकर बच्चे आएंगे, जिनको प्राइज मिलेगा। इसी तरह दिन कुछ न कुछ इवेंट होते रहेंगे जो कि राधाष्टमी को जाकर समाप्त होंगे।
जेके टेंपल में 31 अगस्त तक मनेगा जन्मोत्सव
श्री कृष्ण जन्मोत्सव और बाल लीला के साथ भगवान के जन्म के साथ ही जेके टेंपल में जन्मोत्सव प्रोग्राम 31 अगस्त तक चलेगा। ट्यूसडे को पूतना, वकासुर और अघासुर का वध होगा। वेडनसडे को महारास, थर्सडे को गोवर्धन पर्वत एक्ट, कंस वध और कृष्ण राज्याभिषेक का प्रोग्राम होगा। फ्राइडे को कृष्ण रुक्मिणी विवाह और कृष्ण सुदामा एक्ट होगा। सैटरडे को द्रौपदी चीरहरण, विराट रूप और गीता उपदेश के साथ उत्सव का अंत होगा।
बच्चे बने राधा कृष्ण
देर रात मंदिरों में हुए उत्सव में भगवान तो मूर्ति में थे लेकिन कई बच्चे राधा और कृष्ण के भेष में सजकर पहुंचे। एक से बढक़र एक सजावट के साथ तैयार होकर आए बच्चों में कान्हा और राधारानी का बाल रुप देखने को मिला। कई भक्तों ने सजकर आए बच्चों को प्रणाम भी किया।